"श्रावस्ती": अवतरणों में अंतर
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=== बौद्ध धर्म अनुयायी ===
वहाँ के नागरिक गौतम बुद्ध के बहुत बड़े भक्त थे। 'मिलिन्दप्रश्न' नामक ग्रन्थ में चढ़ाव-बढ़ाव के साथ कहा गया है कि इसमें भिक्षुओं की संख्या 5 करोड़ थी। इसके अलावा वहाँ के तीन लाख सत्तावन हज़ार गृहस्थ बौद्ध धर्म को मानते थे। इस नगर में 'जेतवन' नाम का एक उद्यान था, जिसे वहाँ के जेत नामक राजकुमार ने आरोपित किया था। इस नगर का अनाथपिण्डिक नामक सेठ जो बुद्ध का प्रिय शिष्य था, इस उद्यान के शान्तिमय वातावरण से बड़ा प्रभावित था। उसने इसे ख़रीद कर बौद्ध संघ को दान कर दिया था। बौद्ध ग्रन्थों में कथा आती है कि इस पूँजीपति ने जेतवन को उतनी मुद्राओं में ख़रीदा था जितनी कि बिछाने पर इसके पूरे फ़र्श को भली प्रकार ढक देती थीं। उसने इसके भीतर एक मठ भी बनवा दिया जो कि श्रावस्ती आने पर बुद्ध का विश्रामगृह हुआ करता था। इसे लोग '
== महाकाव्यों तथा पुराणों में वर्णित श्रावस्ती ==
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