"जयचन्द विद्यालंकार": अवतरणों में अंतर
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'''जयचन्द विद्यालंकार''' (
जयचन्द्र विद्यालंकार भारत में इतिहास की ऐसी प्रतिभा माने जाते हैं कि लोगों ने इतिहास की उनकी मूल धारणाओं तक पहुँचने के लिये विधिवत हिन्दी का अध्ययन किया। उन्हें अपनी धारणाएं हिन्दी में ही सामने रखने की जिद थी।<ref>[https://books.google.co.in/books?id=HQbIYRU25IcC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false गुजरा कहाँ कहां से (पृष्ट १४२)] (गूगल पुस्तक ; लेखक- कन्हैयालाल नन्दन)</ref>
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