"रामावतारम्": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Rama meets Bharata.jpg|अंगूठाकार|रामावतारम्]]
'''रामावतारम्''' (तमिल रामायण) के रचयिता कंवन चोल राजा कुलोतुंग तृतीय (११७८-१२०२ ई.) के दरबार में थे। उन्होंने [[रामायण]] की रचना अपने संरक्षक सदयप्पा वल्लाल के प्रोत्साहन से की। उनका जन्म तिरॅवेन्नैनलुर, जिला तंजौर (मद्रास) में हुआ। उनका संरक्षण कृपालु सदयप्पा ने किया जिनका उल्लेख कंबन की रचनाओं में बहुधा मिलता है। कंबन विरुतम काव्य में दक्ष थे। उनकी समृद्धि उस काल में हुई जब भक्तिपंथ नयनमरों तथा आलवरों द्वारा लोकप्रिय हे रहा था। उत्कट वैष्णव होते हुए भी कंबन का दृष्टिकोण यथेष्ट उदार था। उन्होंने भगवान् शिव की प्रशंसा अपनी रामायण में की है। उनके युग में कई उत्कृष्ट ग्रंथों की रचना हुई किंतु उनकी रचित रामायण उनमें सर्वोपरि है।
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