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जब उत्पादक एक वस्तु का उत्पादन करता है तो उसका मुख्य उद्देश्य होता है लाभ। जब सीमांत लागत अर्थात एक इकाई के उत्पादन का लागत बाजार में स्थापित वस्तु के मुल्य से ऊपर चला जाता है तो इसका अर्थ है कि विक्रेता को उसके उत्पादन से घाटा होगा। अतः जिस बिन्दु पर सीमांत लागत वक्र, विक्रेता के मांग वक्र को काट कर उसके ऊपर चला जाता है, उस बिन्दु के पार उत्पादन करने से विक्रेता को अपना उत्पाद लागत से कम भाव पर बेचना होगा। अतः उत्पादक इस बिन्दु पर पहुंचने के उपरान्त उत्पादन रोक देता है।
 
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[[श्रेणी:अर्थशास्त्र के सिद्धांत]]