छो विराम चिह्न की स्थिति सुधारी।
No edit summary
पंक्ति 1:
[[चित्र:File:Indian percussion group.jpg|thumb|IPG|350px| लोक संगीत।]]
 
वैदिक ॠचाओं की तरह '''लोक संगीत''' या '''लोकगीत''' अत्यंत प्राचीन एवं मानवीय संवेदनाओं के सहजतम उद्गार हैं। ये लेखनी द्वारा नहीं बल्कि लोक-जिह्वा का सहारा लेकर जन-मानस से निःसृत होकर आज तक जीवित रहे।