"हाल": अवतरणों में अंतर

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'''हाल''' [[भारतीय साहित्य]] के सुविख्यात रचनाकार थे। हालकृत ''गाहा सत्तसई'' ([[गाथासप्तशती|गाथा सप्तशती]]) एक सुविख्यात काव्यरचना है। इसमें ७०० [[प्राकृत]] [[गाथा]]ओं का संग्रह है। 'हाल' के अतिरिक्त 'गाहा सत्तसई' के कर्ता का नाम 'सालाहण' तथा 'सातवाहन' भी पाया जाता जाता है।
[[चित्रFile:https://uploadHaal (2).wikimedia.org/wikipedia/commons/0/07/Scenic_Beauty.JPGjpg]]|thumb|350px| हाल जी- एक प्रकृतिप्रक्रुतिक प्रेमी थे ।]]
== परिचय ==
[[संस्कृत]] के महाकवि [[बाणभट्ट|बाण]] ने [[हर्षचरित्]] की उत्थानिका में इस कृति का कोष या सुभाषित कोष और उसके कर्ता का सातवाहन के नाम से उल्लेख किया है। इससे अनुमान होता है कि मूलत: यह कृति चुने हुए प्राकृत पद्यों का एक संग्रह था। धीरे धीरे उसमें सात सौ गाथाओं का समावेश हो गया और वहाँ सतसई के नाम से प्रख्यात हुई। तथापि उसके कर्ता का नाम वही बना रहा। आदि की तीसरी गाथा में ऐसा उल्लेख पाया जाता है कि इस रचना में हाल ने एक कोटि गाथाओं में से ७०० अलंकारपूर्ण गाथाओं को चुनकर निबद्ध किया। सतसई की रचना का काल अनिश्चित है। हाँ, बाण के उल्लेख से इतना निश्चयपूर्वक कहा जा सकता है कि गाथाकोष के रूप में उसका संकलन ईसा की सातवीं शती से पूर्व हो चुका था। सातवाहन का एक नामांतर शालिवाहन भी है जो ई. सन् ७८ में प्रारंभ होनेवाले एक संवत् के साथ जुड़ा हुआ पाया जाता है। वायु, विष्णु, भागवत आदि पुराणों में आंध्रभृत्य नामक राजाओं की वंशावली पाई जाती है जिसमें सर्वप्रथम नरेश का नाम [[सातवाहन]] तथा १७वें राजा का नाम हाल मिलता है। इस राजवंश का प्रभाव पश्चिम भारत में ईसा की प्रथम तीन-चार शतियों तक गुप्तराजवंश से पूर्व था। उनकी राजधानी प्रतिष्ठानपुर (आधुनिक [[पैठन]]) थी।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/हाल" से प्राप्त