"भक्ति काल": अवतरणों में अंतर

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रामानुजाचार्य की परंपरा में [[रामानंद]] हुए। आपका व्यक्तित्व असाधारण था। वे उस समय के सबसे बड़े आचार्य थे। उन्होंने भक्ति के क्षेत्र में ऊंच-नीच का भेद तोड़ दिया। सभी जातियों के अधिकारी व्यक्तियों को आपने शिष्य बनाया। उस समय का सूत्र हो गयाः
 
:''जाति-पांति पूछे नहिं कोई।'' araytusih
 
:''हरि को भजै सो हरि का होई''॥''