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{{Infobox book
[[File:Monk Atmaramji.jpg|thumb| जैन सुधारक और भिक्षु]]
| image = Dhavala.jpg
| caption =
| author = आचार्य पुष्पदंत और आचार्य भूतबलि
| language = [[प्राकृत]]
}}
 
'''षट्खण्डागम''' (अर्थ = छ: भागों वाला धर्मग्रंथ) [[दिगम्बर]] जैन संप्रदाय का सर्वोच्च और सबसे प्राचीन पवित्र धर्मग्रंथ है। दिगंबर परंपरा के अनुसार मूल धर्मवैधानिक शास्त्र [[महावीर स्वामी|महावीर भगवान]] के [[निर्वाण]] के कुछ शताब्दियों के बाद ही लुप्त हो गये थे। अतः, षट्खण्डागम को [[आगम (जैन)|आगम]] का दर्जा दिया गया है और इसे सबसे श्रद्धेय माना गया है। दिगम्बरों के लिए षट्खण्डागम की अहमियत इस बात से लगायी जा सकती है, कि जिस दिन षट्खण्डागम पर [[धवला टीका]] को पूरा किया गया था, उस दिन को श्रुत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।