"खंडवा": अवतरणों में अंतर
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=== श्री श्री १००८ श्री दादाजी धूनीवाले ===
श्री श्री १००८ श्री दादाजी धूनीवाले (श्री केशवानांदजी महाराज) भारत के एक महान संत थे ज़िनेः दादाजी डंडे वाले के नाम से भी जाना जाता था| उन्हो ने १९वी और २०वी शताब्दी मे भारत, ख़ास कर मध्य भारत मे, यात्राएँ की| दुनिया भर मे उनके लाखों भक्त उन्हे शिव भगवान का रूप मानते हैं और उन्होने कई भक्तो को तो साक्षात शिवजी के रूप मे दर्शन दिए| १८वी सदी मे एक बहुत बड़े साधु, श्री गौरी शंकर जी महाराज, अपनी टोली के साथ, नर्मदा मईया की परिक्रमा कीया करते थे| वह शिव जी के बहुत बड़े भक्त थे, उन्होने मा नर्मदा की घोर तपस्या की और उनसे प्रार्थना की कि उन्हे भोलेनाथ के दर्शन हों| जब उनकी १२ कठिन परिक्रमाएँ पूर्ण हुई, तो माँ नर्मदा जी ने उनसे प्रसन्न होकर उन्हे दर्शन दिए और कहा की उन्ही की जमात मे केशव नाम के युवा के रूप मे भोलेनाथ मौजूद हैं| भगवान शिवजी के दर्शन के लिए व्याकुल गौरी शंकर जी महाराज जब वापिस लौटे तो उन्होने सच मे उस लड़के (दादाजी) मे भगवान शिवजी का रूप देखा| जब उन्हे अपनी आँखों पर विश्वास नही हुआ तो भोलेनाथ ने उन्हे कहा की अगर अपनी आँखों पे यकीन नही होता तो मुझे छू कर आज़माले| दादाजी महाराज हमेशा अपने साथ एक डंडा रखा करते थे और जहाँ भी विराजमान होते वहाँ धूनी रमाते थे| दिगाम्बर रूप दादाजी महाराज के दर्शन के लिए हर रोज़ हज़ारो लोग आया करते थे| जन कल्याण करने का दादाजी का बहुत ही विचित्रा तरीका था, वे भक्तों को गाली देते व डंडा मारते| हर तरह के लोग, अमीर से अमीर और ग़रीब से ग़रीब दादाजी के आशीर्वाद के लिए आते| दादाजी ने कई चमत्कार दिखाए, जैसे, जिनके बच्चे ना हों उनको संतान देना, बीमार लोगों को ठीक करना और मुर्दों को ज़िंदा करना| इन्ही महान संत जिन्हें दादाजी धुनी वाले के नाम से पुकारा जाता है की समाधि खंडवा में है जहा निरंतर धुनी जलती रहती है जिसे धुनी मैया कहते है तथा दादाजी की समाधि दर्सन और धुनी मैया की भभूती का प्रसाद लेने दूर दूर से भक्त्त आते है
=== माँ नवचंडी देविधाम मंदिर ===
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