"परमाणु अप्रसार संधि": अवतरणों में अंतर

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'''परमाणु अप्रसार संधि''' ([[अंग्रेज़ी]]:'''नॉन प्रॉलिफरेशन ट्रीटी''') को ''[[एनपीटी]]'' के नाम से जाना जाता है। इसका उद्देश्य विश्व भर में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के साथ-साथ [[परमाणु परीक्षण]] पर अंकुश लगाना है। [[१ जुलाई]] [[१९६८]] से इस समझौते पर हस्ताक्षर होना शुरू हुआ। अभी इस संधि पहपर हस्ताक्षर कर चुके देशों की संख्या १९0 है। जिसमें पांच के पास आण्विक हथियार हैं। ये देश हैं- [[अमेरिका]], [[ब्रिटेन]], [[फांस]], [[रूस]] और [[चीन]]। सिर्फ चार संप्रभुता संपन्न देश इसके सदस्य नहीं हैं। ये हैं- [[भारत]], [[इजरायल]], [[पाकिस्तान]] और [[उत्तरी कोरिया]]। एनपीटी के तहत भारत को परमाणु संपन्न देश की मान्यता नहीं दी गई है। जो इसके दोहरे मापदंड को प्रदर्शित करती है। इस संधि का प्रस्ताव [[आयरलैंड]] ने रखा था और सबसे पहले हस्ताक्षर करने वाला राष्ट्र है [[फिनलैंड]]। इस संधि के तहत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र उसे ही माना गया है जिसने [[१ जनवरी]] [[१९६७]] से पहले परमाणु हथियारों का निर्माण और परीक्षण कर लिया हो। इस आधार पर ही भारत को यह दर्जा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं प्राप्त है। क्योंकि भारत ने पहला परमाणु परीक्षण [[१९७४]] में किया था। उत्तरी कोरिया ने इस सन्धि पर हस्ताक्षर किये, इसका उलंघन किया और फिर इससे बाहर आ गया।
 
== सन्धि के मुख्य स्तम्भ ==