"युगधर्म": अवतरणों में अंतर

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इतिहास-पुराणों में '''युगधर्म''' का विस्तार के साथ प्रतिपादन मिलता है (देखिये, [[मत्स्यपुराण]] 142-144 अ0अध्याय; [[गरूड़पुराण]] 1.223 अध्याय; वनपर्व 149 अध्याय)। किस काल में [[युग]] (चतुर्युग) संबंधी पूर्वोक्त धारणा प्रवृत्त हुई थी, इस संबंध में गवेषकों का अनुमान है कि ख्रिष्टीय चौथी शती में यह विवरण अपने पूर्ण रूप में प्रसिद्ध हो गया था। वस्तुत: ईसा पूर्व प्रथम शती में भी यह काल माना जाए तो कोई दोष प्रतीत नहीं होता।
 
==इन्हें भी देखें==