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"शुक्रनीति" के अनुसार कलाओं की संख्या असंख्य है, फिर भी समाज में अति प्रचलित 64 कलाओं का उसमें उल्लेख हुआ है। "शुक्रनीति" के अनुसार गणना इस प्रकार है :-
 
: नर्तन (नृत्य), (2) वादन, (3) वस्त्रसज्जा, (4) रूपपरिवर्तनरूप परिवर्तन, (5) शैय्या सजाना, (6) द्यूत क्रीड़ा, (7) सासन रतिज्ञान, (8) मद्य बनाना और उसे सुवासित करना, (9) शल्य क्रिया, (10) पाक कार्य, (11) बागवानी, (12) पाषाणु, धातु आदि से भस्म बनाना, (13) मिठाई बनाना, (14) धात्वोषधिधातौषधि बनाना, (15) मिश्रित धातुओं का पृथक्करण, (16) धातुमिश्रणधातु मिश्रण, (17) नमक बनाना, (18) शस्त्रसंचालनशस्त्र संचालन, (19) कुश्ती (मल्लयुद्ध), (20) लक्ष्यवेधलक्ष्य वेध, (21) वाद्यसंकेतवाद्य संकेत द्वारा व्यूहरचनाव्यूह रचना, (22) गजादि द्वारा युद्धकर्म, (23) विविध मुद्राओं द्वारा देवपूजनदेव पूजन, (24) सारथ्य, (25) गजादि की गतिशिक्षागति शिक्षा, (26) बर्तन बनाना, (27) चित्रकला, (28) तालाब, प्रासाद आदि के लिए भूमि तैयार करना, (29) घटादि द्वारा वादन, (30) रंगसाजी, (31) भाप के प्रयोग-जलवाटवग्नि संयोगनिरोधै: क्रिया, (32) नौका, रथादि यानों का ज्ञान, (33) यज्ञ की रस्सी बटनेबाटने का ज्ञान, (34) कपड़ा बुनना, (35) रत्नपरीक्षणरत्न परीक्षण, (36) स्वर्णपरीक्षणस्वर्ण परीक्षण, (37) कृत्रिम धातु बनाना, (38) आभूषण गढ़ना, (39) कलई करना, (40) चर्मकार्य, (41) चमड़ा उतारना, (42) दूध के विभिन्न प्रयोग, (43) चोली आदि सीना, (44) तैरना, (45) बर्तनबर्त्तन माँजना, (46) वस्त्रप्रक्षालनवस्त्र प्रक्षालन (संभवत: पालिश करना), (47) क्षौरकर्म, (48) तेल बनाना, (49) कृषिकार्य, (50) वृक्षारोहण, (51) सेवाकार्यसेवा कार्य, (52) टोकरी बनाना, (53) काँच के बर्तनबर्त्तन बनाना, (54) खेत सींचना, (55) धातु के शस्त्र बनाना, (56) जीन, काठी या हौदा बनाना, (57) शिशुपालन, (58) दंडकार्य, (59) सुलेखन, (60) तांबूलरक्षण, (61) कलामर्मज्ञता, (62) नटकर्म, (63) कलाशिक्षण और (64) साधने की क्रिया।
 
=== अन्य ===
"https://hi.wikipedia.org/wiki/कला" से प्राप्त