"रासायनिक साम्य": अवतरणों में अंतर

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: 2HI --> H<sub>2</sub> + I<sub>2</sub>
 
उपर्युक्त दोनों ही क्रियाओं में क्रिया की गति क्रमश: मंद होती जाती है और अंत में पूर्णत: स्थिर हो जाती है। रासायनिक क्रिया की इस स्थिति को रासायनिक साम्यावस्था कहते हैं। क्रिया के साम्यावस्था मिश्रण में उपर्युक्त पदार्थों की आपेक्षिक मात्रा एक ही रहती है, चाहे यह क्रिया हाइड्रोजेन और आयोडीन के संयोग से हाइड्रोजेन आयोडाइड बनाने की हो, अथवा हाइड्रोजेन आयोडाइड के विघटन से हाइड्रोजन तथा आयोडीन में पृथक्करण हो, अथवा तीनों संघटकों के साम्यावस्था संतुलन मिश्रण की प्रक्रिया हो, जिसमें हाइड्रोजेन तथा आयेडीन परमाणुओं की समान संख्या उपस्थित रहती है। इसके अतिरिक्त प्रयोगशाला के परिणामों में यह पाया जाता है कि चाहे हाइड्रोजेन तथा आयोडीन के परमाणुओं की समस्त संख्या समान हो अथवा नहीं, दोनों ही दशाओं में समान ताप पर तैयार किए हुए साम्यावस्था मिश्रणों की सामयावस्था सांद्रता, अथवा साम्यावस्था दबाव के निम्नांकित अनुपातों का मान, स्थिर रहता है :.
 
निम्नलिखित सामान्य अभिक्रिया को लेते हैं-
<sup>C2</sup>
 
<center><big>
aA + bB <math> \rightleftharpoons </math> yY + zZ ,
</big></center>
 
जहाँ ''A'', ''B'', ''Y'' और ''Z'' अभिक्रिया के भाग लेने वाले रसायन हैं तथा ''a'', ''b'', ''y'' और ''z'' और A संतुलित अभिक्रिया में अणुसंख्या है, तो :
 
<center>
<math>K_c = \frac{[\mbox{Y}]^\mbox{y} \cdot [\mbox{Z}]^\mbox{z}}{[\mbox{A}]^\mbox{a} \cdot [\mbox{B}]^\mbox{b}}</math>
</center>
 
K_c इस अभिक्रिया का (सान्द्रता) का साम्यावस्था नियतांक कहते हैं। उपर्युक्त समीकरण में यदि गैसें सम्मिलित हों तो उनके मोलर सान्द्रण के स्थान पर उनका [[आंशिक दाब]] भी लिया जा सकता है तथा इस प्रकार प्राप्त साम्यावस्था नियतांक को Kp कहते हैं।
 
; उदाहरण
 
<center><big>
2 SO<sub>2(g)</sub> + O<sub>2(g)</sub> <math> \rightleftharpoons </math> 2 SO<sub>3(g)</sub>
</big></center>
 
इस अभिक्रिया का साम्यावस्था नियतांक निम्नलिखित प्रकार से अभिव्यक्त किया जायेगा-:
 
<center>
<math>K_c = \frac{[\mbox{SO}_\mbox{3}]^\mbox{2}}{[\mbox{SO}_\mbox{2}]^\mbox{2} \cdot [\mbox{O}_\mbox{2}]}</math>
</center>
 
उपर्युक्त समीकरण में (C <sup>2</sup> HI) का आशय क्रिया में भाग लेनेवाले हाइड्रोजेन आयोडाइड की सांद्रता के वर्ग से है। इसी प्रकार से सांहा२ (CH2) तथा सांआ२ (CI2) क्रमश: हाइड्रोजेन तथा आयोडीन की सांद्रता को व्यक्त करते हैं। यह सांद्रता ग्राममौलेक्यूल प्रति लिटर के रूप में व्यक्त की जाती है। द (p) का आशय आंशिक दबाव से होता है। द२हाआ (P2HI) हाइड्रोजेन आयोडाइड के आंशिक दबाव का वर्ग है तथा दहा२ (PH2) और दआ२ (PI2) क्रमश: हाइड्रोजेन तथा आयोडीन के आंशिक दबाव को प्रदर्शित करते हैं। निसां (KC) सांद्रता के नियतांक को तथा निद (KP) आंशिक दबाव के नियताक को कहा जाता है। उपर्युक्त क्रिया में निसां (KC) तथा निद (KP) बराबर हैं। इन्हें साम्यावस्था नियतांक कहा जाता है।
 
सभी प्रकार की रासायनिक क्रियाओं में उपर्युक्त सिद्धांत लागू होते हैं, परंतु अनेक क्रियाओं में साम्यावस्था की दशा में क्रिया में भाग लेनेवाले तथा वचनेवाले उत्पादों की मात्रा इतनी कम होती है कि क्रिया की अपूर्णता का परीक्षणों द्वारा अनुमापन नहीं किया जा सकता है।
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अनेक प्रकार की भौतिकीय साम्यावस्थाएँ, जैसे द्रव तथा वाष्प, विलयन तथा अविलेय विलेय के मध्य स्थापित साम्यावस्था रासायनिक साम्यावस्था के सदृश्य होती हैं, परंतु इनमें रासायनिक क्रियाओं के स्थान पर विपरीत आणविक स्तर की क्रियाएँ होती हैं। भौतिकीय साम्यावस्था में भी साम्यावस्था नियतांक का उपर्युक्त रीति से निर्धारण किया जा सकता है।
 
भौतिकीय रासायनिक साम्यावस्था के सिद्धांत का निरूपण [[ऊष्मागतिकी]] से किया जाता है। ऊष्मागतिकी के प्रथम तथा द्वितीय नियम के आधार पर किसी तत्व के पृथक् भाग अथवा तंत्र में, जिसे स्थिर ताप तथा स्थिर दबाव पर रखा गया हो तथा जिसमें भौतिकीय रासायनिक साम्यावस्था स्थापित हो चुकी हो, स्वतंत्र ऊर्जा उ (F) न्यूनतम हो जाती है। आंतरिक ऊर्जा ऊ (E) तथा दबाव दा (p) और आयतन आ (v) के गुणनफल को जोड़ने पर तथा योगफल में से ताप ता (T) तथा एंट्रोपी (Entropy) एं (S) के गुणनफल से प्राप्त राशि को घटा देने से शेष राशि उ (F) के बराबर होती है। अत: उ=ऊ+दाआ-ताएं (F = E + pv - TS)। . उपर्युक्त दशा में स्वतंत्र ऊर्जा का परिवर्तन चाहे कार्य हो अथवा नहीं, दोनों ही परिस्थितियों में समान होता है।

साम्यावस्था नियतांक का सामान्य समीकरण निम्नांकित होता है:
 
:<math>\Delta G^\circ = -\text{R}T \cdot \ln K</math>
 
जहाँ
 
:''R'' = [[सार्वत्रिक गैस नियतांक]] = 8,31447 J·K<sup>−1</sup>·mol<sup>−1</sup>
Dउ�=-नि ता लघु सा (DF�=-R T In Kequiv), जिसमें उ� (F�) प्रामाणित अवस्था में स्वतंत्र ऊर्जा होती है; [प्रामाणिक अवस्था में सामान्यत: दबाव द (p) एक वायुमंडलीय दबाव के बराबर होता है, अत: इस अवस्था में द=१ (p=1)] Dउ� (DF�) प्रामाणिक अवस्था में स्वतंत्र ऊर्जा के ्ह्रास को व्यक्त करता है, नि (R) नियतांक है तथा ता (T) ताप को व्यक्त करता है, सा (Kequiv) साम्यावस्था नियतांक है तथा (In) लॉगरिथ्म (Logrithm) को प्रदर्शित करता है।
:''K'' = साम्यावस्था नियतांक
:''T'' = ताप, [[केल्विन]] में
: :<math>\Delta G^\circ</math> = प्रामाणिक अवस्था में स्वतंत्र ऊर्जा के ह्रास को व्यक्त करता है; प्रामाणिक अवस्था में सामान्यत: दबाव p एक वायुमंडलीय दबाव के बराबर होता है.
 
== इन्हें भी देखें ==