"मुकेश (गायक)": अवतरणों में अंतर

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मुकेश की आवाज़ की खूबी को उनके एक दूर के रिश्तेदार [[मोतिलाल]] ने तब पहचाना जब उन्होने उसे अपने बहन की शादी में गाते हुए सुना। मोतिलाल उन्हे [[बम्बई]] ले गये और अपने घर में रहने दिया। यही नही उन्होने मुकेश के लिये रियाज़ का पूरा इन्तजाम किया। इस दौरान मुकेश को एक हिन्दी फ़िल्म ''निर्दोश'' ([[१९४१]]) में मुख्य कलाकार का काम मिला। पार्श्व गायक के तौर पर उन्हे अपना पहला काम [[१९४५]] में फ़िल्म ''पहली नज़र'' में मिला। मुकेश ने हिन्दी फ़िल्म में जो पहला गाना गाया वह था ''दिल जलता है तो जलने दे'' जिसमें अदाकारी मोतिलाल ने की। इस गीत में मुकेश के आदर्श गायक केएल सहगल के प्रभाव का असर साफ साफ नजर आता है।
1959 में अनाड़ी फिल्म के ‘सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी’ गाने के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था।
 
[[१९७४]] में मुकेश को ''रजनीगन्धा'' फ़िल्म में ''कई बार यूं भी देखा है'' गाना गाने के लिये राष्ट्रिय पुरस्कार मिला।