"मुकेश (गायक)": अवतरणों में अंतर

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| Grandson = [[नील नितिन मुकेश]]
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'''मुकेश चन्द्रचंद माथुर''' ([[जुलाई २२]], [[१९२३]], [[दिल्ली]], [[भारत]] - [[अगस्त २७]], [[१९७६]]), लोकप्रिय तौर पर सिर्फ़ '''मुकेश''' के नाम से जाने जाने वाले, [[हिन्दी सिनेमा]] के एक प्रमुख [[पार्श्व गायक]] थे।
 
मुकेश की आवाज़ की खूबी को उनके एक दूर के रिश्तेदार [[मोतिलालमोतीलाल]] ने तब पहचाना जब उन्होनेउन्होंने उसे अपने बहन की शादी में गाते हुए सुना। मोतिलालमोतीलाल उन्हेउन्हें [[बम्बई]] ले गये और अपने घर में रहने दिया। यही नहीनहीं उन्होनेउन्होंने मुकेश के लियेलिए रियाज़ का पूरा इन्तजाम किया। इस दौरान मुकेश को एक हिन्दी फ़िल्म ''निर्दोशनिर्दोष'' ([[१९४१]]) में मुख्य कलाकार का काम मिला। पार्श्व गायक के तौर पर उन्हेउन्हें अपना पहला काम [[१९४५]] में फ़िल्म ''पहली नज़र'' में मिला। मुकेश ने हिन्दी फ़िल्म में जो पहला गाना गाया, वह था ''दिल जलता है तो जलने दे'' जिसमें अदाकारी मोतिलालमोतीलाल ने की। इस गीत में मुकेश के आदर्श गायक केएलके एल सहगल के प्रभाव का असर साफसाफ़-साफ़ साफ नजरनज़र आता है।
1959 में अनाड़ी फिल्मफ़िल्म के ‘सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी’ गाने के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर का फिल्मफेयरफिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था।
[[१९७४]] में मुकेश को ''रजनीगन्धा'' फ़िल्म में ''कई बार यूंयूँ भी देखा है'' गाना गाने के लियेलिए राष्ट्रियराष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
 
[[१९७६]] में जब वे अमरीकाअमेरीका के डेट्रॉयट शहर में दौरे पर थे, तब उन्हेउन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गयी।
 
==प्रारम्भिक जीवन====इन्हें भी देखें==
==प्रारंभिक जीवन==
इनका जन्म 22 जुलाई 1923 को लुधियाना के जोरावर चंद माथुर और चांद रानी के घर हुआ था। इनकी बड़ी बहन संगीत की शिक्षा लेती थीं और मुकेश बड़े चाव से उन्हें सुना करते थे। मोतीलाल के घर मुकेश ने संगीत की पारंपरिकपारम्परिक शिक्षा लेनी शुरू की, लेकिन इनकी दिली ख्वाहिश हिंदीहिन्दी फिल्मोंफ़िल्मों में बतौर अभिनेता एंट्रीप्रवेश मारनेकरने की थी।<ref name= ibn />
 
==गायन करियर==
[[मुम्बई]] आने के बाद इन्हें 1941 में "निर्दोष" फिल्म फ़िल्म में बतौर एक्टर सिंगर पहला ब्रेक मिला।
इंडस्ट्री में शुरुआती दौर मुश्किलों भरा था। लेकिन [[के एल सहगल]] को इनकी आवाज़ बहुत पसंद आयी। इनके गाने को सुन के एल सहगल भी दुविधा में पड़ गए थे। 40 के दशक में मुकेश का अपना प्लेबैक सिंगिग स्टाइल था। [[नौशाद]] के साथ उनकी जुगलबंदी एक के बाद एक सुपरहिट गाने दे रही थी। उस दौर में मुकेश की आवाज में सबसे ज्यादा गीत [[दिलीप कुमार]] पर फिल्माए गए।
50 के दशक में इन्हें एक नई पहचान मिली जब इन्हें [[राजकपूर]] की आवाज कहा जाने लगा। कई इटंरव्यू में खुद राज कपूर ने अपने दोस्त मुकेश के बारे में कहा है कि मैं तो बस शरीर हूं मेरी आत्मा तो मुकेश है।<ref name = ibn>[http://m.khabar.ibnlive.com/news/bollywood/198643.html पढ़ें: सिंगर मुकेश के जीवन की अनकही 'कहानी'] - [[आईबीएन7]], 23 अगस्त 2013 </ref>