"मुकेश (गायक)": अवतरणों में अंतर
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Sanjay Saah (वार्ता | योगदान) |
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बतौर अभिनेता-निर्माता मुकेश को सफलता नहीं मिली। गलतियों से सबक लेते हुए फिर से सुरों की महफिल में लौट आये। 50 के दशक के आखिरी सालों में मुकेश फिर पार्श्व गायन के शिखर पर पहुँच गये। ‘यहूदी’, ‘मधुमती’, ‘अनाड़ी’ जैसी फ़िल्मों ने उनकी गायकी को एक नयी पहचान दी और फिर ‘जिस देश में गंगा रहता है’ के गाने के लिए वे [[फ़िल्मफेयर]] के लिए नामांकित हुए।<ref name= ibn />
60 के दशक की शुरुआत मुकेश ने [[कल्याण]], [[आनंद]], के ''डम-डम डीगा-डीगा'', नौशाद का ''मेरा प्यार भी तू है'', और [[
60 के दशक में मुकेश का करियर अपने चरम पर था और अब मुकेश ने अपनी गायकी में नये प्रयोग शुरू कर दिये थे। उस वक्त के अभिनेताओं के मुताबिक उनकी गायकी भी बदल रही थी। जैसे कि [[सुनील दत्त]] और [[मनोज कुमार]] के लिए गाये गीत।
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