"मुकेश (गायक)": अवतरणों में अंतर

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पार्श्व गायक मुकेश को फ़िल्म इंडस्ट्री में अपना मकाम हासिल कर लेने के बाद, कुछ नया करने की चाह जगी और इसलिए इन्होंने फ़िल्म निर्माता (प्रोड्यूसर) बन गये। साल 1951 में फ़िल्म ‘मल्हार’ और 1956 में ‘अनुराग’ निर्मित की। अभिनय का शौक बचपन से होने के कारण ‘माशूका’ और ‘अनुराग’ में बतौर हीरो भी आये। लेकिन बॉक्स ऑफिस पर ये दोनों फ़िल्में फ्लॉप रहीं। कहते हैं कि इस दौर में मुकेश आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे।
बतौर अभिनेता-निर्माता मुकेश को सफलता नहीं मिली। गलतियों से सबक लेते हुए फिर से सुरों की महफिल में लौट आये। 50 के दशक के आखिरी सालों में मुकेश फिर पार्श्व गायन के शिखर पर पहुँच गये। ‘यहूदी’, ‘मधुमती’, ‘अनाड़ी’ जैसी फ़िल्मों ने उनकी गायकी को एक नयी पहचान दी और फिर ‘जिस देश में गंगा रहताबहती है’ के गाने के लिए वे [[फ़िल्मफेयर]] के लिए नामांकित हुए।<ref name= ibn />
 
60 के दशक की शुरुआत मुकेश ने [[कल्याण]], [[आनंद]], के ''डम-डम डीगा-डीगा'', नौशाद का ''मेरा प्यार भी तू है'', और [[एस॰ डी॰ बर्मन]] के नग़मों से की और फिर [[राज कपूर]] की फ़िल्म ‘संगम’ में [[शंकर जयकिशन]] द्वारा संगीतबद्ध किया गाना, जिसके लिए इन्हें फिर से फ़िल्मफेयर के लिए नामांकित हुए।<ref name= ibn />