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<div style="float:left;margin-right:0.9em">[[Image:Pm1234 Ground.png|thumb|120px|0 + 1 − 2 + 3 − 4 + ... के प्रथम 15,000 आंशिक योग]]</div>
 
गणित में, '''[[१ − २ + ३ − ४ + · · ·|1 − 2 + 3 − 4 + · · ·]]''' एक [[अनन्त श्रेणी]] है जिसके व्यंजक क्रमानुगत [[प्राकृतिक संख्या|धनात्मक संख्याएं]] होती हैं जिसके [[प्रत्यावर्ती श्रेणी|एकांतर चिह्न]] होते हैं। अनन्त श्रेणी के [[अपसारी श्रेणी|अपसरण]] का मतलब यह है कि इसके आंशिक योग का अनुक्रम {{nowrap|(1, −1, 2, −2, ...)}} किसी परिमित [[अनुक्रम की सीमा|मान]] की ओर अग्रसर नहीं होता है। बहरहाल, 18वीं शताब्दी के मध्य में [[लियोनार्ड ओइलर|लियोनार्ड आयलर]] {{nowrap|1=1 − 2 + 3 − 4 + · · · = <sup>1</sup>⁄<sub>4</sub>}} बताया। दशक 1980 के पूर्वार्द्ध में [[अर्नेस्टो सिसैरा]], [[एमिल बोरेल]] तथा अन्यों ने अपसारी श्रेणियों को व्यापक योग निर्दिष्ट करने के लिए [[सुपरिभाषित]] विधि प्रदान की – जिसमें नवीन आयलर विधियों का भी उल्लेख था। इनमें से विभिन्न संकलनीयता विधियों द्वारा {{nowrap|1 − 2 + 3 − 4 + · · ·}} का "योग" {{nowrap|<sup>1</sup>⁄<sub>4</sub>}} लिख सकते हैं। [[सिसैरा-संकलन]] उन विधियों में से एक है जो {{nowrap|1 − 2 + 3 − 4 + ...}} का योग प्राप्त नहीं कर सकती, अतः श्रेणी एक ऐसा उदाहरण है जिसमें थोड़ी प्रबल विधि यथा [[अपसारी श्रेणी#एबल संकलन|एबल संकलन]] विधि की आवश्यकता होती है। ('''[[१ − २ + ३ − ४ + · · ·|विस्तार से पढ़ें...]]''')</div>