"जैन धर्म में भगवान": अवतरणों में अंतर

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भूक, प्यास, बुढापा, रोग, जन्म, मरण, भय, घमण्ड, राग, द्वेष, मोह, निद्रा, पसीना आदि २८ दोष नहीं होते वही वीतराग देव कहें जाते हैं।{{sfn|जलज|२००६|प=८}}
 
==पंच परमेष्ठी==
{{मुख्य|पंच परमेष्ठी}}
जैन धर्म में, '''पंच परमेष्ठी''' धार्मिक अधिकारियों का पंच पदानुक्रम हैं, जो पूजनीय हैं। वे पाँच सर्वोच्च जीव निम्नलिखित हैं -
# ''[[अरिहंत]]''
# ''[[सिद्ध (जैन)|सिद्ध]]
# ''[[आचार्य (जैन)|आचार्य]] (मुनि संघ के प्रमुख)
# ''[[उपाध्याय (जैन)|उपाध्याय]]'' (मनीषी गुरु)
# ''[[जैन मुनि|मुनि]]''
 
== केवली ==