"हिन्दू काल गणना": अवतरणों में अंतर
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=== चाँद्र मापन ===
* एक ''[[तिथि]]'' वह समय होता है, जिसमें [[सूर्य]] और [[चंद्र]] के बीच का देशांतरीय कोण बारह अंश बढ़ जाता है। तिथिसिद्धान्तका खण्डतिथि और अखण्डतिथि के हिसाब से दो भेद है |वेदांगज्योतिषके अनुसार
* एक ''पक्ष'' या पखवाड़ा = पंद्रह तिथियाँ
* चान्द्रमास दो प्रकारका होता है -एक अमान्त और पूर्णिमान्त | पहला पक्ष शुक्लपक्षप्रतिपदा से अमावास्या तक अर्थात् शुक्लादिकृष्णान्त मास वेदांग ज्योतिष मानता है | इसके अलावा सूर्यसिद्धान्तादि लौकिक ज्योतिषके पक्षधर दुसरा पक्ष मानते है |पूर्णिमान्त पक्ष अर्थात् कृष्णप्रतिपदासे आरम्भ कर पूर्णिमातक एक मास |
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* एक ''अयन'' = 3 '''ॠतुएं'''
* एक ''[[वर्ष]]'' = 2 '''अयन'''का होता है | [http://vedabase.net/sb/3/11/11/en1]
वेदांग ज्योतिषके आधरमे पञ्चवर्षात्मक युग माना जाता है | हर ६०वर्षमे १२ युग व्यतित होजाता है | १२ युगौंके नाम आगे बताया जा चुका है |
शुक्लयजुर्वेदसंहिता के मन्त्रौं २७|४५,३०|१५ म.भारत.आश्वमेधिक पर्व४४|२,४४|१८
कौटलीय अर्थशास्त्र २|२०
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