"विश्वरूप": अवतरणों में अंतर

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[[File:Vishnu and Lakshmi on Shesha Naga, ca 1870.jpg|right|thumb|300px|[[विष्णु]] और [[लक्ष्मी]], [[वैकुंठ]] में।]]
 
लक्ष्मी नें हजारों वर्षों तक तपस्या की उस दौरान देवराज [[इंद्र]] विष्णु के रूप में लक्ष्मी के समक्ष आए और वरदान माँगने को कहा, लक्ष्मी ने विश्वरूप दर्शन कराने का आग्रह किया।किया।इंद्र ने कहा भगवान् विष्णु के अतिरिक्त विश्वरुप कोई नही दिखा सकता।
 
अंत में भगवान विष्णु ने लक्ष्मी को अपने विराटरूप का दर्शन कराया तथा लक्ष्मी और नारायण का विवाह हुआ।<ref>[http://hi.brajdiscovery.org/index.php?title=%E0%A4%B2%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A5%80 लक्ष्मी], ब्रजडिस्कवरी</ref> कई पुराणों में माता लक्ष्मी के प्रभु से रूठने तथा समुद्र में समाने की कथा वर्णित है। जो [[समुद्र मंथन]] से बाहर निकलीं।