"चर्यापद": अवतरणों में अंतर

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'''चर्यापद''' (='चर्या' के पद) ८वीं से १२वीं शताब्दी के बीच सहजिया बौद्ध सिद्धों द्वारा रचित गीत ([[पद]]) हैं जो सर्वाधिक प्राचीन [[बांग्ला साहित्य]] के उदाहरण हैं। इन पदों की भाषा [[असमिया]] और [[ओड़िया]] से भी बहुत मिलती है। सहजिया [[बौद्धधर्म]] की उत्पत्ति [[महायान]] से हुई, अतएव यह स्वाभाविक ही है कि महायान बौद्धधर्म की कुछ विशेषताएँ इसमें पाई जाती हैं।
[[चित्र:Charyapada.jpg|right|thumb|300px|'''चर्यापद''' का एक पृष्ठ]]
'''चर्यापद''' (='चर्या' के पद) ८वीं से १२वीं शताब्दी के बीच सहजिया बौद्ध सिद्धों द्वारा रचित गीत (पद) हैं जो सर्वाधिक प्राचीन [[बांग्ला साहित्य]] के उदाहरण हैं। इन पदों की भाषा [[असमिया]] और [[ओड़िया]] से भी बहुत मिलती है। सहजिया [[बौद्धधर्म]] की उत्पत्ति [[महायान]] से हुई, अतएव यह स्वाभाविक ही है कि महायान बौद्धधर्म की कुछ विशेषताएँ इसमें पाई जाती हैं।
 
'चर्या' का अर्थ आचरण या व्यवहार है। इन पदों में बतलाया गया है कि साधक के लिये क्या आचरणीय है और क्या अनाचरणीय है। इन पदों के संग्रह को 'चर्यापद' के नाम से अभिहित किया गया है। [[सिद्ध|सिद्धों]] की संख्या चौरासी कही जाती है जिनमें कुछ प्रमुख सिद्ध निम्नलिखित हैं : लुइपा, शबरपा, सरहपा, शांतिपा, काह्नपा, जालंधरपा, भुसुकपा आदि। इन सिद्धों के काल का निर्णय करना कठिन है, फिर भी साधारणत: इनका काल सन्‌ 800 ई. से सन्‌ 1175 ई. तक माना जा सकता है।
 
[[चित्र:Charyapada.jpg|rightcenter|thumb|300px700px|'''चर्यापद''' का एक पृष्ठ]]
 
== परिचय ==