"रामनरेश त्रिपाठी": अवतरणों में अंतर

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→‎साहित्य कृतित्व: पंडित त्रिपाठी की याद में सुल्तानपुर जिले में स्थापित एकमात्र सभागार का नाम...
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पं. त्रिपाठी को अपने जीवन काल में कोई राजकीय सम्मान तो नही मिला पर उससे भी कही ज्यादा गौरवप्रद लोक सम्मान तथा अक्षय यश उन पर अवश्य बरसा। उन्होंने 16 जनवरी 1962 को अपने कर्मक्षेत्र प्रयाग में ही अंतिम सांस ली।
 
पंडित त्रिपाठी के निधन के बाद आज उनके गृह जनपद '''[[सुल्तानपुर]]''' जिले में एक मात्र सभागार "पंडित राम नरेश त्रिपाठी सभागार" स्थापित है जो उनकी स्मृतियों को ताजा करता है।
 
== कृतियाँ ==