"आस्तिक": अवतरणों में अंतर

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[[भारतीय दर्शन]] में नास्तिकआस्तिक शब्द दोतीन अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। है-
 
*(1) जो लोग [[वेद]] को परम [[प्रमाण नहीं]] मानते वेहैं नास्तिक कहलाते हैं। इस परिभाषा के अनुसार [[बौद्ध]], [[जैन]] और [[लोकायत]] मतों के अनुयायी नास्तिक कहलाते हैं और ये तीनों दर्शन [[नास्तिक दर्शन]] कहे जाते हैं।
 
*(2) जो [[आत्मा]] के अस्तित्व को स्वीकार करते हैं।
*(2) जो लोग परलोक और मृत्युपश्चात् जीवन में विश्वास नहीं करते; इस परिभाषा के अनुसार केवल [[चार्वाक दर्शन]] जिसे लोकायत दर्शन भी कहते हैं, भारत में नास्तिक दर्शन कहलाता है और उसके अनुयायी नास्तिक कहलाते हैं।
 
*(23) जो लोग[[ईश्वर]] के अस्तित्व को स्वीकार करते हैं, तथा [[परलोक]] और मृत्युपश्चात् जीवन में विश्वास नहीं करते;करते। इस परिभाषा के अनुसार केवल [[चार्वाक दर्शन]] जिसे लोकायत दर्शन भी कहते हैं, भारत में नास्तिक दर्शन कहलाता है और उसके अनुयायी नास्तिक कहलाते हैं।
 
आस्तिक शब्द, अस्ति से बना हुआ है जिसका अर्थ है - '(विद्यमान) है'। जो आस्तिक नहीं हैं उन्हें नास्तिक कहा जाता है।
 
== इन्हें भी देखें==