"नरोत्तमदास": अवतरणों में अंतर

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'''नरोत्तमदास''' [[हिन्दी]] के प्रमुख [[साहित्यकार]] थे। [[चित्र:Happy Diwali 019.JPG |thumb|right|200px|महाकवि नरोत्तमदास]]
 
== जीवन ==
जन्म संवत व स्थान - [[१५५०]] के लगभग ज़िला [[सीतापुर]]
इनका जन्म सम्वत् [[१५५०]] विक्रम (तदनुसार [[१४९३]] ईसवी) के लगभग वर्तमान [[उत्तरप्रदेश]] के [[सीतापुर]] जिले में हुआ और मृत्यु सम्वत् [[१६०५]] (तदनुसार [[१५४२]] ईसवी) में हुई। इनकी भाषा [[ब्रज]] है। हिन्दी साहित्य में ऐसे लोग विरले ही हैं जिन्होंने मात्र एक या दो रचनाओं के आधार पर हिन्दी साहित्य में अपना स्थान सुनिश्चित किया है। एक ऐसे ही कवि हैं, उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद में जन्मे कवि [[नरोत्तमदास]], जिनका एकमात्र खण्ड-काव्य ‘सुदामा चरित’ ([[ब्रजभाषा]] में) मिलता है जो हिन्दी साहित्य की अमूल्य धरोहर मानी जाती है। [[शिव सिंह सरोज]] में सम्वत् [[1602]] तक इनके जीवित होने की बात कही गई है। इसके अतिरिक्त इनके संबंध में अन्य प्रमाणिक अभिलेखों में [[जार्ज ग्रियर्सन]] का अध्ययन है, जिसमें उन्होंने महाकवि का जन्मकाल सम्वत् [[1610]] माना है।
 
वस्तुतः इनके जन्मकाल के सम्बन्ध में अनेक विद्वानों ने अपने -अपने मत प्रगट किए हैं परन्तु ‘शिव सिंह सेंगर’ व ‘जार्ज ग्रियर्सन’ के मत अधिक समीचीन व प्रमाणित प्रतीत होते है जिसके आधार पर [[सुदामा चरित]] का रचना काल सम्वत् 1582 में न होकर सन् 1582 अर्थात सम्वत् 1636 होता है।
मृत्यु - संवत [[१६०५]] के लगभग
 
आचार्य [[हजारी प्रसाद द्विवेदी]] ने ‘हिन्दी साहित्य’ में [[नरोत्तमदास]] के जन्म का उल्लेख सम्वत् [[1545]] में होना स्वीकार किया है। इस प्रकार अनेक विद्वानों के मतों के आधार पर इनके जीवनकाल का निर्धारण उपलब्ध साक्ष्यों के आलोक में [[1493]] ई0 से [[1582]] ई0 किया गया है।
रचनाएं - [[सुदामा चरित]], [[ध्रुव-चरित]], [[विचार माला]]
 
== कृतियाँ ==
वर्ण्य विषय - [[कृष्ण]] और [[सुदामा]] की आदर्श मित्रता, दरिद्रता और भावुकता का सफल चित्रण
* पं0 [[गणेश बिहारी मिश्र]] की [[मिश्रबंधु विनोद]] के अनुसार 1900 की खोज में इनकी कुछ अन्य रचनाओं ‘विचार माला’ तथा ‘ध्रुव-चरित’ और ‘नाम-संकीर्तन’ के संबंध में भी जानकारियाँ मिलते हैं परन्तु इस संबंध में अब तक प्रामाणिकता का अभाव है। [[नागरी प्रचारिणी सभा]], [[वाराणसी]], की एक खोज रिपोर्ट में भी ‘विचारमाला’ व ‘नाम-संकीर्तन’ की अनुपलब्धता का वर्णन है। ‘ध्रुव-चरित’ आंशिक रूप से उपलब्ध है जिसके 28 छंद ‘रसवती’ पत्रिका में 1968 अंक में प्रकाशित हुए।
 
* '''[[सुदामा चरित]]''', खण्ड काब्य ([[ब्रजभाषा]] में संपादित संकलन)। [[सुदामा चरित]] के संबंध में आचार्य [[रामचन्द्र शुक्ल]] ने कहा हैः-
भाषा - प्रवाहपूर्ण सरस ब्रज भाषा
‘यद्यपि: ''यद्यपि यह छोटा है पर इसकी रचना बहुत सरस और हृदयग्राहिणी है और कवि की भावुकता का परिचय देती है भाषा भी बहुत परिमार्जित है और व्यवस्थित है। बहुतेरे कवियों क समान अरबी के शब्द और वाक्य इसमें नहीं है।’है।''
 
* '''[[ध्रुव-चरित]]''', 28 छंद [[रसवती]] पत्रिका में [[1968]] अंक में प्रकाशित
शैली - काव्यात्मक नाट्य शैली
 
* '''[[नाम-संकीर्तन]]''', अब तक अप्राप्त, (प्रामाणिकता का अभाव)
छंद - दोहा, कवित्त, सवैया, कुंडली
 
* '''[[विचारमाला]]''', अब तक अप्राप्त, (प्रामाणिकता का अभाव)
== जीवन ==
इनका जन्म सम्वत् [[१५५०]] विक्रम (तदनुसार [[१४९३]] ईसवी) के लगभग वर्तमान [[उत्तरप्रदेश]] के [[सीतापुर]] जिले में हुआ और मृत्यु सम्वत् [[१६०५]] (तदनुसार [[१५४२]] ईसवी) में हुई। इनकी भाषा [[ब्रज]] है। हिन्दी साहित्य में ऐसे लोग विरले ही हैं जिन्होंने मात्र एक या दो रचनाओं के आधार पर हिन्दी साहित्य में अपना स्थान सुनिश्चित किया है। एक ऐसे ही कवि हैं, उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद में जन्मे कवि [[नरोत्तमदास]], जिनका एकमात्र खण्ड-काव्य ‘सुदामा चरित’ ([[ब्रजभाषा]] में) मिलता है जो हिन्दी साहित्य की अमूल्य धरोहर मानी जाती है।
[[शिव सिंह सरोज]] में सम्वत् [[1602]] तक इनके जीवित होने की बात कही गई है।
उन्हे ठाकुर Mahasaya के रूप में भी जाना जाता था कहा जाता है कि नरोत्तम दास राजा Krishnananda दत्ता और नारायणी देवी के बेटा थे। नरोत्तम दास सबसे अच्छा अपनी भक्ति कविता के लिए जाना जाते है जिसमें वह भावनात्मक रूप से राधा और कृष्ण की ओर से तीव्र भावनाओं का वर्णन.
शैली - काव्यात्मक नाट्य शैली
छंद - दोहा, कवित्त, सवैया, कुंडली
वर्ण्य विषय - कृष्ण और सुदामा की आदर्श मित्रता, दरिद्रता और भावुकता का सफल चित्रण
 
डॉ॰ [[रामकुमार वर्मा]] ने नरोत्तमदास के काव्य के संदर्भ में लिखा हैः-
इसके अतिरिक्त इनके संबंध में अन्य प्रमाणिक अभिलेखों में [[जार्ज ग्रियर्सन]] का अध्ययन है, जिसमें उन्होंने महाकवि का जन्मकाल सम्वत् [[1610]] माना है।
‘कथा: ''कथा संगठन, ‘नाटकीयता’नाटकीयता, ‘विधानविधान, भाव, भाषा, द्वन्द्व’द्वन्द्व आदि सभी दृष्टियों से [[नरोत्तमदास]] कृत सुदामा चरित श्रेष्ठ रचना है।’है।
 
वस्तुतः इनके जन्मकाल के सम्बन्ध में अनेक विद्वानों ने अपने -अपने मत प्रगट किए हैं परन्तु ‘शिव सिंह सेंगर’ व ‘जार्ज ग्रियर्सन’ के मत अधिक समीचीन व प्रमाणित प्रतीत होते है जिसके आधार पर [[सुदामा चरित]] का रचना काल सम्वत् 1582 में न होकर सन् 1582 अर्थात सम्वत् 1636 होता है।
 
; सारांश
आचार्य [[हजारी प्रसाद द्विवेदी]] ने ‘हिन्दी साहित्य’ में [[नरोत्तमदास]] के जन्म का उल्लेख सम्वत् [[1545]] में होना स्वीकार किया है। इस प्रकार अनेक विद्वानों के मतों के आधार पर इनके जीवनकाल का निर्धारण उपलब्ध साक्ष्यों के आलोक में [[1493]] ई0 से [[1582]] ई0 किया गया है।
जन्म संवत व स्थान - [[१५५०]] के लगभग ज़िला [[सीतापुर]]
कवि का कृतित्व इस प्रकार है।
 
मृत्यु - संवत [[१६०५]] के लगभग
== कृतियाँ ==
* [[सुदामा चरित]], खण्ड काब्य ([[ब्रजभाषा]] में संपादित संकलन)
 
रचनाएं - [[सुदामा चरित]] के संबंध में आचार्य, [[रामचन्द्र शुक्लध्रुव-चरित]], ने[[विचार कहा हैः-माला]]
‘यद्यपि यह छोटा है पर इसकी रचना बहुत सरस और हृदयग्राहिणी है और कवि की भावुकता का परिचय देती है भाषा भी बहुत परिमार्जित है और व्यवस्थित है। बहुतेरे कवियों क समान अरबी के शब्द और वाक्य इसमें नहीं है।’
 
वर्ण्य विषय - [[कृष्ण]] और [[सुदामा]] की आदर्श मित्रता, दरिद्रता और भावुकता का सफल चित्रण
 
भाषा - प्रवाहपूर्ण सरस ब्रज भाषा
* [[ध्रुव-चरित]], 28 छंद [[रसवती]] पत्रिका में [[1968]] अंक में प्रकाशित
 
शैली - काव्यात्मक नाट्य शैली
डॉ॰ [[रामकुमार वर्मा]] ने नरोत्तमदास के काव्य के संदर्भ में लिखा हैः-
‘कथा संगठन,’ ‘नाटकीयता’, ‘विधान, भाव, भाषा, द्वन्द्व’ आदि सभी दृष्टियों से [[नरोत्तमदास]] कृत सुदामा चरित श्रेष्ठ रचना है।’
 
छंद - दोहा, कवित्त, सवैया, कुंडली
* [[नाम-संकीर्तन]], अब तक अप्राप्त, (प्रामाणिकता का अभाव)
 
* [[विचारमाला]], अब तक अप्राप्त, (प्रामाणिकता का अभाव)
* [[सुदामा चरित]] इनका मुख्य ग्रन्थ है।
 
== इन्हें_भी_देखें ==
* पं0 गणेश बिहारी मिश्र की मिश्रबंधु विनोद के अनुसार 1900 की खोज में इनकी कुछ अन्य रचनाओं ‘विचार माला’ तथा ‘ध्रुव-चरित’ और ‘नाम-संकीर्तन’ के संबंध में भी जानकारियाँ मिलते हैं परन्तु इस संबंध में अब तक प्रामाणिकता का अभाव है।
नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, की एक खोज रिपोर्ट में भी ‘विचारमाला’ व ‘नाम-संकीर्तन’ की अनुपलब्धता का वर्णन है। ‘ध्रुव-चरित’ आंशिक रूप से उपलब्ध है जिसके 28 छंद ‘रसवती’ पत्रिका में 1968 अंक में प्रकाशित हुए।
 
== बाहरी कडियाँ ==
* [http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B8_/_%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A4%AF नरोत्तमदास एक परिचय लेख]
* [http://kavyakala.blogspot.com/2006/11/blog-post_28.html नरोत्तमदास पर अन्तर्जाल पर प्रकाशित एक लेख]
* [http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B8 नरोत्तमदास की रचनाएँ कविता कोश में]
 
== सन्दर्भ ==
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* इन पंक्तियों के लेखक के आदरणीय स्वर्गीय पितामह तथा आदरणीय पिताश्री को बाडी के सन्निकट स्थित ग्राम अल्लीपुर का मूल निवासी होने के कारण इस महान कवि के जन्मस्थल पर अंग्रेज़ों के समय से चलने वाले एकमात्र विद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है जिससे वहाँ प्रचलित जनश्रुतियों को निकटता से सुनने का अवसर प्राप्त हुआ है। वहां प्रचलित जनश्रुतियों के आधार पर यह ज्ञात हुआ है कि ये कान्यकुब्ज ब्राहमण थे।
 
== इन्हें भी देखें ==
:*[[भक्ति काल]]
:*[[भक्त कवियों की सूची]]
:*[[हिंदी साहित्य]]
 
== बाहरी कडियाँ ==
:[[भक्ति काल]]
* [http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B8_/_%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A4%AF नरोत्तमदास एक परिचय लेख]
:[[भक्त कवियों की सूची]]
* [http://kavyakala.blogspot.com/2006/11/blog-post_28.html नरोत्तमदास पर अन्तर्जाल पर प्रकाशित एक लेख]
:[[हिंदी साहित्य]]
* [http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B8 नरोत्तमदास की रचनाएँ कविता कोश में]
 
{{भक्ति काल के कवि }}