"पदार्थ (भारतीय दर्शन)": अवतरणों में अंतर

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{{उद्धरणहीन|date=जून 2015}}
[[मनुष्य]] सर्वदा से ही विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक वस्तुओं द्वारा चारों तरफ से घिरा हुआ है। [[सृष्टि]] के आविर्भाव से ही वह स्वयं की अन्त:प्रेरणा से परिवर्तनों का अध्ययन करता रहा है- परिवर्तन जो गुण व्यवहार की रीति इत्यादि में आये हैं- जो प्राकृतिक [[विज्ञान]] के विकास का कारक बना। सम्भवत: इसी अन्त: प्रेरणा के कारण महर्षि [[कणाद]] ने [['वैशेषिक दर्शन]]' का आविर्भाव किया।