"सप्तर्षि तारामंडल": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Big dipper with Sanskrit names.png|thumb|200px|अँधेरी रात में आकाश में सप्तर्षि तारामंडल के सात तारे]]
[[चित्र:Lok.JPG|200px|thumb|धार्मिक ग्रंथों में पृथ्वी के ऊपर के सभी लोक]]
'''सप्तर्षि तारामंडल''' [[पृथ्वी]] के उत्तरी गोलार्ध (हेमीस्फ़ेयर) के आकाश में
== अन्य भाषाओँ में ==
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| [[मारीचि तारा|मारीचि]] || Alkaid || η UMa || 1.9 || 101
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==चक्रण==
'''सप्तऋषि मण्डल''' [[ध्रुव तारा|ध्रुव]] तारे के चारों ओर 24 घण्टे में एक चक्कर पूरा करता है। इस मण्डल के प्रथम दो तारे सदैव [[ध्रुव तारा|ध्रुव]] तारे की सीध में ही दिखाई देते हैं। प्राचीन समय में जब [[दिशा]] ज्ञान करने का यंत्र नहीं था , तब [[ध्रुव तारा|ध्रुव]] तारे की सहायता से ही दिशा का ज्ञान किया जाता था।
== गैलेक्सियाँ ==
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== धार्मिक ग्रंथों के सप्तर्षि मण्डल ==
[[हिन्दू धर्म]] में [[विष्णु पुराण]] के अनुसार, '''कृतक त्रैलोक्य''' -- भूः, भुवः और स्वः – ये तीनों लोक मिलकर कृतक त्रैलोक्य कहलाते हैं। सप्तर्षि मण्डल शनि मण्डल से एक लाख योजन ऊपर का मण्डल है।
'''सप्तऋषि मण्डल''' का नाम सात [[ऋषि|ऋषियों]] के नाम पर रखा गया है (मरीची, अत्रि, आंगिरा, पुलह, क्रतु, पुलस्त, वशिष्ठ)।
== इन्हें भी देखें ==
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