टी.व्ही.दर्शन जरुरत से ज्यादा खतरनाक है खासकर घरेलु महिलायें ओर स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए| वर्तमान समय में कोलाहल बढता ही जा रहा है तिस पर घर पर रखा बुद्धू बक्सा अर्थात् टेलीविजन भी इस बढते कोलाहल के लिए जिम्मेदार है | बड़ी आसनी से सामाज शा त्री ओर मनोवाज्ञानिक कह देते है की टेलीवि जन कम देखना चाहिये ! मगर व्यवहारिक तौर पर ऐसा संभव नहीं | जब टी.व्ही. नया नया आया था तो उसमे एक शटर तथा उसमे ताला लगाने की व्यवस्था थी | किसकी चाबी मम्मी या पापा के पास रहती थी | इसका मतलब यह हुआ कि टी.व्ही. बनाने वालो को यह अनुमान था की इस टी.व्ही. का दुरुपयोग हो सकता है | तो उन्होंने टी.व्ही. में ताला लगाने का इन्जाम किया | लेकिन वर्तमान टी.व्ही. एकदम स्वतंत्र नहीं है |