"पारिभाषिक शब्दावली": अवतरणों में अंतर

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: '''न शक्यतेऽर्थोबोद्धुं यत्सर्वस्मिन् संज्ञया विना।'''
: '''आदावतोऽस्य शास्त्रस्य परिभाषाभिध्यास्यते।।'''
: ('' विना संज्ञा (नाम या शब्दावली) के किसी भी विषय का अर्थ <br /> समझाना सम्भव नही है। (अतः) इस शास्त्र के आरम्भ में ही परिभाषा दी जा रही है।'') <br />
इसके बाद उन्होने लम्बाई, क्षेत्रफल, आयतन, समय, सोना, चाँदी एवं अन्य धातुओं के मापन की इकाइयों के नाम और उनकी परिभाषा (परिमाण) दिया है। इसके बाद गणितीय संक्रियाओं के नाम और परिभाषा दी है तथा अन्य गणितीय परिभाषाएँ दी है।
 
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प्रसिद्ध विद्वान [[आचार्य रघुवीर]] बड़े ही सरल शब्दों में पारिभाषिक और साधारण शब्दों का अन्तर स्पष्ट करते हुए कहते हैं-
 
:"''पारिभाषिक शब्द का अर्थ है जिसकी सीमाएं बांध दी गई हों। .... और जिनकी सीमा नहीं बांधी जाती, वे साधारण शब्द होते हैं।''
 
पारिभाषिक शब्दों को स्पष्ट करने के लिए अनेक विद्वानों ने अनेक प्रकार से परिभाषाएं निश्चित करने का प्रयत्न किया है। डॉ॰ रघुवीर सिंह के अनुसार -
 
:"''पारिभाषिक शब्द वह होता है जिसका प्रयाग किसी विशेष अर्थ में संकेत रुप से होता है।''
 
डॉ॰ [[भोलानाथ तिवारी]] 'अनुवाद' के सम्पादकीय में इसे और स्पष्ट करते हुए कहते हैं-
 
:"''पारिभाषिक शब्द ऐसे शब्दों को कहते हैं जो सामान्य व्यवहार की भाषा के शब्द न होकर [[भौतिकी]], [[रसायन]], [[प्राणिविज्ञान]], [[दर्शन]], [[गणित]], [[इंजीनियरी]], [[विधि]], [[वाणिज्य]], [[अर्थशास्त्र]], [[मनोविज्ञान]], [[भूगोल]] आदि ज्ञान-विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों के विशिष्ट शब्द होते हैं और जिनकी अर्थ सीमा सुनिश्चित और परिभाषित होती है। क्षेत्र विशेष में इन शब्दों का विशिष्ट अर्थ होता है।''
 
== इतिहास ==
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== पारिभाषिक शब्दावली का विकास ==
[[प्राचीन भारत]] में ही [[दर्शन]], [[ज्योतिष]], [[गणित]], [[आयुर्वेद]] आदि कुछ विषयों में प्रचुर भारतीय शब्दावली उपलब्ध थी। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ही वैज्ञानिक उपलब्धियों से संबंधित शब्दावली हिन्दी भाषा में आने लगी थी। [[नागरीप्रचारिणी सभा|काशी नागरी प्रचारिणी सभा]], वाराणसी ने वैज्ञानिक शब्दावलियों के रूप में सर्वप्रथम पुस्तकाकार प्रकाशन किये। इस दिशा में [[डॉ॰ सत्यप्रकाश]] ([[विज्ञान (हिन्दी पत्रिका)|विज्ञान परिषद]], इलाहाबाद) तथा [[रघु वीर|डॉ॰ रघुवीर]] के कार्य विशेष उल्लेखनीय हैं।
 
[[रघु वीर|डॉ॰ रघुवीर]] के कोश कार्य की एक ओर अत्यधिक प्रशंसा हुई, दूसरी ओर अत्यधिक आलोचना. वस्तुत: यह प्रशंसनीय कार्य था, जिसको अत्यधिक श्रम से वैज्ञानिक आधार पर प्रस्तुत किया गया। संपूर्णत: संस्कृत पर आधारित होने के कारण इसकी व्यावहारिकता पर संदेह किया जाने लगा. उन्होंने सर्वप्रथम भाषा-निर्माण में यांत्रिकता तथा वैज्ञानिकता को स्थान दिया। [[उपसर्ग]] तथा [[प्रत्यय|प्रत्ययों]] के धातुओँ के योग से लाखों शब्द सहज ही बनाये जा सकते हैं:
 
:'''उपसर्गेण धात्वर्थो बलादन्यत्र नीयते। प्रहार-आहार-संहार-विहार-परिहार वत्।।वत् ॥'''
 
इस प्रक्रिया को कोश की भूमिका में समझाया. यदि मात्र दो संभावित योग लें, मूलांश ४०० और तीन प्रत्यय लें तो ८००० रूप बन सकते हैं, जबकि अभी तक मात्र ३४० योगों का उपयोग किया गया है। यहाँ शब्द-निर्माण की अद्भुत क्षमता उद्घाटित होती है। उन्होंने विस्तार से उदाहरण देकर समझाया कि किस प्रकार गम् धातु मात्र से १८० शब्द सहज ही बन जाते हैं। प्रगति, परागति, परिगति, प्रतिगति, अनुगति, अधिगति, अपगति, अतिगति, आगति, अवगति, उपगति, उद्गति, सुगति, संगति, निगति, निर्गति, विगति, दुर्गति, अवगति, अभिगति, गति, गन्तव्य, गम्य, गमनीय, गमक, जंगम, गम्यमान, गत्वर, गमनिका आदि कुछ उदाहरण हैं। मात्र 'इ' धातु के साथ विभिन्न एक अथवा दो उपसर्ग जोड़कर १०७ शब्दों का निर्माण संभव है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ५२० धातुओं के साथ २० उपसर्गों तथा ८० प्रत्ययों के योग से लाखों शब्दों का निर्माण किया जा सकता है। अगर धातुओं की संख्या बढ़ा ली जाए तो १७०० धातुओं से २३८०० मौलिक तथा ८४,९६,२४००० शब्दों को व्युत्पन्न किया जा सकता है।
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== भारत के लिये संस्कृत आधारित पारिभाषिक शब्दावली का महत्व ==
* संस्कृत में अति प्राचीन काल से पारिभाषिक शब्दों के निर्माण और उपयोग का प्रचलन रहा है।
 
* अधिकांश शब्द सभी भारतीयों के लिये परिचित हैं,
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* [http://ankurthoughts.blogspot.com/2010/03/blog-post_09.html अंग्रेजी-हिन्दी कम्प्यूटर शब्दकोश मुफ़्त में डाउनलोड करें]
* [http://books.google.co.in/books?id=9r7lo400ASsC&printsec=frontcover#v=onepage&q=&f=false आरम्भिक विज्ञान कोश] (गूगल पुस्तक ; लेखक - गोविन्द झा)
* [https://books.google.co.in/books?id=oG2_9g8WqL4C&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false भाषा और प्रौद्योगिकी] ((गूगल पुस्तक ; लेखक - विनोद कुमार प्रसाद)
* [http://books.google.co.in/books?id=1qhYL4ydm5UC&printsec=frontcover#v=onepage&q=&f=false हिन्दी की शब्द सम्पदा] (गूगल पुस्तक ; लेखक - विद्यानिवास मिश्र)
* [http://www.taptilok.com/pages/details.php?detail_sl_no=338&cat_sl_no=8 प्रयोजनमूलक हिन्दी]
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* [http://groups.google.com/group/technical-hindi '''वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी''' गूगल समूह]
* [http://ehindi.hbcse.tifr.res.in/dictionary/small bio dictionary '''जीव विज्ञान''' हेतु लघु पारिभाषिक शब्द-संग्रह] (होमी भाभा विज्ञान शिक्षण केन्द्र)
* [http://ehindi.hbcse.tifr.res.in/dictionary/chemglosry '''रसायन वि‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ज्ञानवि‌ज्ञान''' हेतु लघु पारिभाषिक शब्द-संग्रह] (होमी भाभा विज्ञान शिक्षण केन्द्र)
* [http://glossarydirect.com GlossaryDirect] - searchable directory format
* [http://www.maxprograms.com/articles/glossml.html Introduction to GlossML] This article presents [http://www.maxprograms.com/glossml/glossml.pdf Glossary Markup Language] (GlossML), an open XML vocabulary specially designed to facilitate the exchange of glossaries.