"सौर प्रज्वाल": अवतरणों में अंतर

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[[File:Solar Blast.ogg|thumb|260px|जून २०११ में देखा गया एक सौर प्रज्वाल]]
'''सौर प्रज्वाल''' (solar flare) [[सूरज]] की सतह के किसी स्थान पर अचानक बढ़ने वाली [[चमक]] को कहते हैं। यह प्रकाश [[वर्णक्रम]] के बहुत बड़े भाग के [[तरंगदैर्घ्यों]] (वेवलेन्थ) पर उत्पन्न होता है। सौर प्रज्वाल में कभी-कभी कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण (coronal mass ejection) भी होता है जिसमें सूरज के [[कोरोना]] से [[प्लाज़्मा]] और चुम्बकीय क्षेत्र बाहर फेंक दिये जाते हैं। यह सामग्री तेज़ी से सौर मंडल में फैलती है और इसके बादल बाहर फेंके जाने के एक या दो दिन बाद [[पृथ्वी]] तक पहुँच जाते हैं। इनसे [[अंतरिक्ष यानों]] पर दुष्प्रभाव के साथ-साथ पृथ्वी के [[आयनमंडल]] पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जिस से दूरसंचार प्रभावित होने की सम्भावना बनी रहती है।<ref>Menzel, Whipple, and de Vaucouleurs, "Survey of the Universe", 1970</ref>
 
== ऊर्जा माप ==
सौर प्रज्वाल में औसतन १ × १०<sup>२०</sup> [[जूल (इकाई)|जूल]] की [[ऊर्जा]] फेंकी जाती है, हालांकि कुछ प्रज्वाल में १ × १०<sup>२५</sup> जूल की ऊर्जा देखी गई है (यानि औसत प्रज्वाल से लाख गुना अधिक)। तुलना के लिये सन् २०१० में पूरे विश्व ने पूरे वर्ष में केवल ५.५ × १०<sup>२०</sup> जूल ऊर्जा की खपत की थी जो तब तक पूरे मानव इतिहास का सबसे अधिक ऊर्जा-खपत वाला वर्ष था।<ref>"[http://www.resilience.org/stories/2012-02-16/world-energy-consumption-beyond-500-exajoules World energy consumption - beyond 500 exajoules]," Rembrandt Koppelaar, 16 Feb 2012, ''... Energy consumption is still increasing rapidly, with an approximate 550 exajoules (523 Quadrillion BTUs) consumed at the primary energy level in 2010 ...''</ref> एक और तुलना के लिये १ × १०<sup>२५</sup> जूल ऊर्जा १ [[अरब (संख्या)|अरब]] टन टी एन टी के विस्फोट के बराबर है जबकि मानवों द्वारा करा गया सबसे शक्तिशाली विस्फोट [[सोवियत संघ]] द्वारा सन् १९६१ में फोड़ा गया त्सार बोम्बा नामक हाइड्रोजन बम था जिसकी विस्फोटक शक्ति ५ करोड़ टन (५० मेगाटन) थी।<ref>{{cite journal |url=http://www.princeton.edu/~globsec/publications/pdf/13_1-2khalturin%20NZ%201-42%20.pdf |title=A Review of Nuclear Testing by the Soviet Union at Novaya Zemlya, 1955–1990 |first=Vitaly I. |last=Khalturin |author2=Rautian, Tatyana G. |author3=Richards, Paul G. |author4= Leith, William S. |journal=Science and Global Security |volume=13 |issue=1 |year=2005 |pages=1–42 |doi=10.1080/08929880590961862 |accessdate = 2006-10-14 |archiveurl = https://web.archive.org/web/20060908073452/http://www.princeton.edu/~globsec/publications/pdf/13_1-2khalturin+NZ+1-42+.pdf |archivedate = 2006-09-08}}</ref> सौर प्रज्वाल कभी-कभी कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण (coronal mass ejection) भी होता है जिसमें सूरज के [[कोरोना]] से [[प्लाज़्मा]] और चुम्बकीय क्षेत्र बाहर फेंक दिये जाते हैं। यह सामग्री तेज़ी से सौर मंडल में फैलती है और इसके बादल बाहर फेंके जाने के एक या दो दिन बाद [[पृथ्वी]] तक पहुँच जाते हैं। इनसे [[अंतरिक्ष यानों]] पर दुष्प्रभाव के साथ-साथ पृथ्वी के [[आयनमंडल]] पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जिस से दूरसंचार प्रभावित होने की सम्भावना बनी रहती है।<ref>Menzel, Whipple, and de Vaucouleurs, "Survey of the Universe", 1970</ref>
 
== इन्हें भी देखें ==