"तत्त्वमीमांसा": अवतरणों में अंतर

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# अंतिम सत्ता का स्वरूप क्या है? वह एक प्रकार की है, या एक से अधिक प्रकार की?
 
== जैन तत्वमीमांसा ==
{{मुख्य|तत्त्व (जैन धर्म)}}
जैन दर्शन के अनुसार तत्त्व सात है। यह हैं-
 
#[[जीव]]- जैन दर्शन में आत्मा के लिए "जीव" शब्द का प्रयोग किया गया हैं। आत्मा द्रव्य जो चैतन्यस्वरुप है। {{sfn|शास्त्री|२००७|p=६४}}
#[[अजीव]]- जड़ या की अचेतन द्रव्य को अजीव (पुद्गल) कहा जाता है।
#आस्रव - पुद्गल कर्मों का आस्रव करना
#[[कर्म बन्ध|बन्ध]]- आत्मा से कर्म बन्धना
#[[संवर]]- कर्म बन्ध को रोकना
#[[निर्जरा]]- कर्मों को शय करना
#[[मोक्ष (जैन धर्म)|मोक्ष]] - जीवन व मरण के चक्र से मुक्ति को मोक्ष कहते हैं।
 
== इन्हें भी देखें ==
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* [[ज्ञानमीमांसा]]
* [[मूल्यमीमांसा]]
 
== सन्दर्भ सूची ==
 
* {{साँचा:Citation|last = शास्त्री |first = प. कैलाशचन्द्र |title = जैन धर्म|year = २००७|publisher = आचार्य शंतिसागर 'छाणी' स्मृति ग्रन्थमाला|isbn = 81-902683-8-4}}
 
{{Metaphysics}}