"लाल-बाल-पाल": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Lal Bal Pal.jpg|thumb|right|200px| तीन नेता जिन्होंने [[भारतीय स्वाधीनता संग्राम]] की दिशा ही बदल दी।]]
 
[[लाला लाजपत राय]], [[बाल गंगाधर तिलक]] और [[बिपिन चंद्र पाल]] को सम्मिलित रूप से '''लाल-बाल-पाल''' के नाम से जाना जाता था। भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में १९०५ से १९०१८१९१८ तक की अवधि में वे गरम राष्ट्रवादी विचारों के पक्षधर और प्रतीक बने रहे। वे [[स्वदेशी]] के पक्षधर थे और सभी आयातित वस्तुओं के बहिष्कार के समर्थक थे। १९०५ के [[बंग भंग]] आन्दोलन में उन्होने जमकर भाग लिया। लाल-बाल-पाल की त्रिमूर्ति ने पूरे भारत में बंगाल के विभाजन के विरुद्ध लोगों को आन्दोलित किया। [[बंगाल]] में शुरू हुआ धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार देश के अन्य भागों में भी फैल गया।
 
१९०७ में [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] '''गरम दल''' और [[नरम दल]] में विभाजित हो गयी। १९०८ में तिलक ने क्रान्तिकारी [[प्रफुल्ल चाकी]] और [[खुदीराम बोस]] के बम हमले का समर्थन किया जिसके कारण उन्हें [[बर्मा]] (अब [[म्यांमार]]) स्थित [[मांडले]] की जेल भेज दिया गया। [[बाल गंगाधर तिलक]] की गिरफ्तारी, बिपिन चन्द्र पाल तथा [[अरविन्द घोष]] की सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने के कारण भारतीय स्वतंत्रता का यह का उग्र राष्ट्रवादी आन्दोलन कमजोर पड़ गया। अन्ततः १९२८ में लाला लाजपत राय की भी अंग्रेजों के लाठीचार्ज के कारण मृत्यु हो गयी।