"श्रीधराचार्य": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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इससे प्रतीत होता है कि श्रीधर ने [[बीजगणित]] पर भी एक वृहद् ग्रन्थ की रचना की थी जो अब उपलब्ध नहीं है। भास्कर ने ही अपने बीजगणित में [[वर्ग समीकरण|वर्ग समीकरणों]] के हल के लिए श्रीधर के नियम को उद्धृत किया है -
: '''चतुराहतवर्गसमै रुपैः पक्षद्वयं गुणयेत ।'''
: '''अव्यक्तवर्गरुयैर्युक्तौ पक्षौ ततो मूलम् ॥'''
* अन्य सभी भारतीय गणिताचार्यों की तुलना में श्रीधराचार्य द्वारा प्रस्तुत '''शून्य''' की व्याख्या सर्वाधिक स्पष्ट है। उन्होने लिखा है-
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