"तुला राशि": अवतरणों में अंतर

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== बाहरी कडि़यां ==
{{राशियाँ}}
[http://www.theastrologyonline.com/astrology-class/ तुला राशितुला राशि--]
 
[http://www.theastrologyonline.com/astrology-class/ ९६३०२१२१११][http://www.theastrologyonline.com/astrology-class/ तुला राशि राशि चक्र की सातवीं राशि है] 
 
[http://www.theastrologyonline.com/astrology-class/ यह पश्चिम दिशा की स्बामी है] 
 
[http://www.theastrologyonline.com/astrology-class/ इसका चिन्ह तराजू है] 
 
[http://www.theastrologyonline.com/astrology-class/ इस राशि का विस्तार राशीचक्र के 180 अंश से 210 अंश तक है] 
 
[http://www.theastrologyonline.com/astrology-class/ इसका स्वामी शुक्र है] 
 
[http://www.theastrologyonline.com/astrology-class/ इसका तत्व वायु है] 
 
[http://www.theastrologyonline.com/astrology-class/ इसके तीन द्रेष्काण के स्वामी क्रमसा शुक्र शनि तथा बुध है][http://www.theastrologyonline.com/astrology-class/ इसके अंतर्गत चित्रा नक्षत्र के तृतीय और चतुर्थ चरण स्वाति के चारो चरण तथा विशाखा की तीन चरण आते हैं] 
 
[http://www.theastrologyonline.com/astrology-class/ इन चरणों के स्वामी क्रमशः चित्रा] 
 
[http://www.theastrologyonline.com/astrology-class/ तृतीय चरण मंगल शुक्र] 
 
[http://www.theastrologyonline.com/astrology-class/ चतुर्थ चरण मंगल मंगल] 
 
[http://www.theastrologyonline.com/astrology-class/ स्वाति प्रथम चरण राहु गुरु और दुतीय चरण राहु सनी और तृतीय चरण शनि राहु चतुर्थ चरण गुरु राहु विशाखा प्रथम चरण गुरु मंगल दुतीय चरण गुरु शुक्र तृतीय चरण गुरू वुध हैं इस हिसाब से चरणों में यह जो ग्रहों की युक्ति है उसका फलादेश होता है राधे शास्त्री ज्योतिष समाधान]
 
तुला राशि का नक्षत्र एवं चरण फल
 
नक्षत्र फल 
 
चंद्रमा अथवा नामाक्षर चित्रा के 
 
तृतीय चरण होने पर जातक मैं भावावेश आ जाता है
 
चौथे चरण में अधिक आवेश में आ जाता है और आत्मिक बनता है तथा वह अपने मन की बात छुपाने का प्रयास करता है स्वाति का 
 
प्रथम चरण जातक स्वछता में वृद्धि करता है 
 
दुतीय चरण उसे गंभीर बनाता है 
 
तृतीय चरण परोपकार की भावना में वृद्धि करता है और 
 
चौथा चरण नयाय प्रियता के साथ कल्पनाशीलता भी प्रदान कराता है 
 
विशाखा का 
 
प्रथम चरण जातक को महत्वाकांक्षी बनाता है और 
 
दुतीय चरण उसे कभी अथवा साहित्यकार बनाता है तथा 
 
तृतीय चरण मानसिक रूप में वृद्धि कर साहित्य के प्रति उसकी रुचि को बढ़ाते हैं 
 
राधे शास्त्री ज्योतिष समाधान
 
तुला राशी लग्न
 
जिन व्यक्तियों के जन्म समय निर्णय चंद्रमा तुला राशि में संचरण कर रहा हो उनकी जन्म राशि तुला राशि मानी जाती है जन्म के समय लगना तुला राशि में हो होने पर भी अपना प्रभाव दिखाती है तुला लग्न में जन्म लेने वाला जातक गुरु , व्यवसाय यशस्वी कुलभूषण कफ प्रकृति वाला सत्यवादी पर स्त्रियों से प्रेम रखने वाला राज्य द्वारा सम्मानित देवपूजा में तत्पर परोपकारी सदगुरु तीर्थ प्रेमी तीर्थ प्रेमी प्रिय वादी ज्योतिषी भ्रमणशील निर्लोन तथा वीर्य विकार से युक्त होता है कुंडली तुला लग्न की कुंडली वाला जातक लंबी नाक मध्यम शरीर वाला उसे प्रारंभिक आयु में दुख उठाना पड़ता है मध्य अवस्था में वह सुखी रहता है और अंतिम अवस्था सामान्य रूप से व्यतीत होती है 31 या 32 वर्ष की आयु में उसका भाग्य उदय होता है राधे शास्त्री ज्योतिष समाधान
 
तुला राशि प्रकृति स्वभाव 
 
तुला सौंदर्य और संतुलन की राशि है रूप और सौंदर्य का राजा ग्रह शुक्र है इस राशि का स्वामी है अतः सुंदर की साधना तुला जातक का मूल कौन है वह भी जीवन को पूरे आनंद के साथ भोगने में विश्वास करते हैं विवादों और झगड़ों से दूर रहते हैं उद्दात आदर्शवाद तथा उच्च नैतिक सिद्धांत उनके चरित्र का आधार होता है स्वभाव था वह वर्तमान में जीना पसंद करते हैं उन्हें विगत की कम और भविष्य की चिंता अधिक होती है पूर्व से अवसर के अनुरूप काफ़ी नीति कुशल होते हैं क्योंकि उनमें समस्या के दोनों पक्षों को देख पाने की योग्यता होती है अपनी मोहिनी शक्ति के साथ इस गुणों का उपयोग करे वह अन्य लोगों द्वारा स्थित स्थिति को समझ पाने से पहले ही अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं उनमें न्याय भावना होती है और वह कहीं अन्याय होता नहीं देख पाते राधे शास्त्री ज्योतिष समाधान
 
तुला राशि धन गतिविधि राधे शास्त्री ज्योतिष समाधान
 
तुला जातक भौतिक मामलों में बहुत सफल रहते हैं वह मकान या भूमि के रूप में संपत्ति अर्जित कर सकते हैं तथा एक चतुर व्यापारी बन कर धन और यश कमा सकते हैं भारतीय ज्योतिष में तो लागू व्यापारिक राशी भी कहते हैं तुला जातक अच्छे वक्ता एवं न्याय वेद भी होते हैं तथा तराजू अर्थात तुला अर्थात सफल व्यापारी उसका निशान ही है तथा अध्ययन और शोध कार्य में भी अपना जीवन लगा सकते हैं शिक्षा के क्षेत्र में भी जातकों को सफलता मिल जाती है ज्योतिष अध्ययन सीखने हेतु संपर्क करें
 
तुला स्वास्थ रोग राधे शास्त्री ज्योतिष समाधान
 
तुला राशि के जातक का स्वास्थ्य प्राया उत्तम रहता है शर्त यह है कि उनमें संतुलन बना रहना चाहिए क्योंकि संतुलन के बिगड़ जाने से उनके अनेक स्नायु रोग हो जाते हैं तथा शरीर का गठन भी बिगड़ जाता है काल पुरुष के शरीर मैं तुला राशि गुर्दों कटी तथा रीड के निचले भाग का प्रतिनिधित्व करती है तुला जातकों को अपेंडिसाइटिस तथा कमर में दर्द जैसे रोग की आशंका रहती है जिन व्यक्तियों की कुंडली में शनि तुला राशि में स्थित हो उन्हें दर्द ,गुर्दा या गुर्दे पथरी पथरी का रोग हो सकता है वीडियो कॉलिंग whatsapp कॉलिंग के द्वारा सटीक ज्योतिष सीखने हेतु संपर्क [[करें]]{{राशियाँ}}
{{वैदिक साहित्य}}
[[श्रेणी:ज्योतिष]]