"विशेषज्ञ की राय": अवतरणों में अंतर

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'''विशेषज्ञ की राय''' उसी व्यक्ति के द्वारा अभिव्यक्त की जाती है जिसके पास अपने शेत्रक्षेत्र से जुडाजुड़ा साराविशेष ज्ञान हो!हो। विशेषज्ञ द्वारा राय दिए जाने के बाद उस राय को कोईसाधारण भीव्यक्ति नहीनहीं बदल सकता!सकता। विशेषज्ञ को अपने निष्कर्ष साबित करने के लिए वैज्ञानिक मानदंडमापदंड की आवश्यकता पड़ती है, जिससे वह अपनी बात की सचाईसच्चाई साबित कर सके,सकता जिससेहै। पंचायतऐसी प्रमाणित बातों को आधार बनाकर [[न्यायालय]] अपना फैसलानिर्णय उसकेकिसी के हकपक्ष में कर सके!सकती पंचायतहै तथा किसी दंडित कर सकता है । न्यायालय ही यह सुनिक्षितसुनिश्चित करतीकरता है की विशेषज्ञ द्वारा दिया गया फैसलाप्रमाण सहीमाननीय है या नही!नहीं। पंचायतन्यायालय के अलावा विशेषज्ञ के फैसले पेपर कोईउसी भीक्षेत्र किसीके भीविशेषज्ञ प्रकारही कामाननीय सवालरूप नहीसे उठाभिन्न मत व्यक्त कर सकते हैं। सकता!
 
==विशेषज्ञ केकी गवाह कीके रूप में भूमिका==
# आम तोरतौर पर विशेषज्ञ को चोट की गंभीरता, विवेकअपराध की उपाधि,नुक्सानस्थिति और आघात को देखकर ही बुलाया जाता हैहै। औरविशेषज्ञ उसकेके बयान से ही निष्कर्ष निकलानिकाला जाता है की कोणकि सही स्थिति क्या है और कोणदोषी कौन गलत!है।
#कभी कभी-कभी न्यायाधिकरण और पञ्च अपने फैसले का मूल्याङ्कनमूल्यांकन करने के लिए भी विशेषज्ञ की राय लेते है जिससेताकि यह तय हो कि उनके द्वारा किए गए फैसलेफ़ैसले कोका कोई गलतपहलू अनदेखासाबितरह करगया सके!हो।
# विशेषज्ञ कीके भुतकई साडीदायित्व जिम्मेवारियाहोते होती हैहैं, खास तौर पर दांडिक परिक्षण में और जूठे साक्ष्य साबित करने में!में। ऐसे ही जूठे साक्ष्य को गलत साबित करके विशेषज्ञ गुनाह साबित करने में परम भूमिका निभाते है!हैं।
# विशेषज्ञ पूरी तरह से निष्पक्ष होकहोकर अपनी गवाही देते हैहैं और बिना किसी और की सहायता किएलिए दोषी व्यक्ति उसकाका जुर्म साबित करते है।हैं।
 
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