"भागवत पुराण": अवतरणों में अंतर

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'''भागवत पुराण''' हिन्दुओं के [[पुराण|अट्ठारह पुराणों]] में से एक है। इसे '''श्रीमद्भागवतम्''' या केवल '''भागवतम्''' भी कहते हैं। इसका मुख्य वर्ण्य विषय [[भक्ति योग]] है, जिसमे [[कृष्ण]] को सभी देवों का देव या '''स्वयं भगवान''' के रूप में चित्रित किया गया है। इसके अतिरिक्त इस [[पुराण]] में रस भाव की [[भक्ति]] का निरुपण भी किया गया है। परंपरागत तौर पर इस पुराण का रचयिता [[वेद व्यास]] को माना जाता है।
 
श्रीमदभागवतश्रीमद्भागवत भारतीय वाङ्मय का मुकुटमणि है। भगवान [[शुकदेव]] द्वारा महाराज [[परीक्षित]] को सुनाया गया भक्तिमार्ग तो मानो सोपान ही है। इसके प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेमकी सुगन्धि है। इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वय के साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है।<ref>[http://www.gitapress.org/hindi गीताप्रेस डाट काम]</ref>
 
== परिचय ==
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आजकल 'भागवत' आख्या धारण करनेवाले दो पुराण उपलब्ध होते हैं :
* (क) [[देवीभागवत]] तथा
* (ख) श्रीमद्भागवत
* (ख) श्रीमद्भागवत्
 
अत: इन दोनों में पुराण कोटि मे किसकी गणना अपेक्षित है ? इस प्रश्न का समाधान आवश्यक है।