"चिरप्रतिष्ठित प्रानुकूलन": अवतरणों में अंतर

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04:34, 27 सितंबर 2016 का अवतरण

इवॉन पॉवलोव (Ivan Pavlov ) ने प्रयोगशाला में नियंत्रित परिस्थतियों में व्यवहार का वृहद अवलोकन किया। उनके इन कार्यों ने इस विचार की नींव डाली कि व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए इसका अवलोकन और मापन आवश्यक है।

चित्र:MonumentIPAVLOV.jpg
इवान पावलोव और उनके एक कुत्ते की मूर्ति

मनोवैज्ञानिक इवान पॉवलोव (1927) ने कुत्तों पर प्रयोग किया तथा देखा कि यदि खाना देने के पहले प्रतिदिन घंटी बजायी जाए, फिर कुत्ते को खाना दिया जाए तो घंटी बजते ही कुत्ते के मुँह में लार आ जाती है। पॉवलोव के अनुसार सामान्य/तटस्थ उद्दीपक ( natural stimulus ) (घंटी बजाना) को एक-दूसरे उद्दीपक (भोजन) के साथ जोड़ा जाए तो एक प्रतिक्रिया होती है जो कि पहले सामान्य उद्दीपक द्वारा व्यवहार में परिलक्षित होती है।

जॉन वॉटसन ने इस क्लासिकल अनुकूलन के सिद्धांत को मानव पर आजमाकर देखा। उन्होने एक छोटे लड़के जिसका नाम एलबर्ट को एक सफेद चूहा दिखाया। उन्होने देखा कि वह उससे डरता है या नहीं। एलबर्ट चूहे से नहीं डरा। खेलने लगा। अब वॉटसन ने एलबर्ट के सिर के पीछे एक तेज आवाज की। अब आप कल्पना कर सकते हैं कि क्या, हुआ होगा इस आवाज से नन्हा एलबर्ट रोने लगा। जब वॉटसन ने सफेद चूहे और तेज आवाज को एक साथ संयोजित करके एलबर्ट के ऊपर आजमाया। डर इसी क्लासिकल कन्डीशनिंग द्वारा संचालित होता है। उदाहरण के लिए दांत की एक कष्टदायक चिकित्सा हमारे मन में दंत चिकित्सक के प्रति मन में भय उत्पन्न कर सकती है, एक वाहन दुर्घटना के बाद हम गाड़ी चलाने में डरने लगते हैं। छोटी आयु में ऊँची कुर्सी पर से गिरने के कारण हमें ऊँचाई का भय और कुत्ते द्वारा काटे जाने पर जानवरों से भय हो जाता है।

क्लासिकल कन्डीशनिंग हमारे कई प्रकार की अनैच्छिक प्रतिक्रियाओं की भी व्याख्या करती है। उदाहरण के लिए ऊपर वर्णित किए गए डर। लेकिन वी.एफ. स्किनर ने देखा कि हमारी कुछ क्रियाओं की व्याख्या एक-दूसरे प्रकार के अधिगम जिसे हम ऑपरेटर कन्डीशनिंग कहते हैं के द्वारा की जा सकती है।