"ज़ाँ प्याज़े": अवतरणों में अंतर

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'''ज़ाँ प्याज़े''' (Jean Piaget ; 9 अगस्त, 1896 – 16 सितम्बर, 1980) [[स्विटजरलैण्ड]] के एक चिकित्सा मनोविज्ञानी थे जो [[बाल विकास]] पर किये गये अपने कार्यों के कारण प्रसिद्ध हैं।
 
[[शिक्षा]] पर पियाजे का बहुत प्रभाव पड़ा है, विशेष रूप से प्रारंभिक और मध्य बचपन के दौरान शिक्षा पर। उसकी मीमांसा (theory) से निकले तीन सिद्धांतों का आज भी शिक्षकों के प्रशिक्षण पर और कक्षा के भीतर अपनाये जाने वाले तौर तरीकों पर व्यापक असर होता है। [[खोज पद्धति से सीखना]] (discovery learning) पियाजे का अनुसरण करने वाली कक्षा में बच्चों को परिवेश के साथ स्वतः स्फूर्त/सहज रूप से क्रिया करते हुए चीजों को खुद से खोजने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। पहले से तैयार ज्ञान को शाब्दिक रूप से प्रस्तुत करने के बजाय, शिक्षक ऐसी विविध गतिविधियों की सुविधा प्रदान करते हैं जो खोजने को बढ़ावा देती हैं- जैसे कला, पहेलियॉंँ, मेज वाले खेल, विभिन्न परिधान, चीजें बनाने वाले गुट्टे (building blocks), किताबें, नापने के औजार, संगीत, वाद्य तथा और भी बहुत कुछ।
 
बच्चों की सीखने की तत्परता के प्रति संवदेनशीलता (sensitivity to children's readiness to learn) पियाजे वाली कक्षा विकास की गति को बढ़ाने की कोशिश नहीं करती। पियाजे मानता था कि बच्चों के सीखने के उपयुक्त अनुभव उनकी तात्कालिक सोच से ही विकसित होते हैं । शिक्षक बच्चों को ध्यानपूर्वक देखते हैं, उनकी बातें सुनते हैं, और उन्हें ऐसे अनुभव सुलभ कराते हैं, जिनमें वे नई खोजी गई योजनाओं का अभ्यास कर सकें और जो उनके संसार को देखने के गलत तरीकों को चुनौती दे सकें । लेकिन शिक्षक बच्चों पर कोई नये कौशल नहीं थोपते जब तक वे उनमें रूचि और उनके लिए तैयारी नहीं दिखाते, क्योंकि ऐसा करने से वे वयस्कों के सूत्रों (formulas) को सतही ढंग से स्वीकार कर लेते हैं, पर उससे सच्ची समझ पैदा नहीं होती।
 
==इन्हें भी देखें==