"दशमलव पद्धति": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: दिनांक लिप्यंतरण और अल्पविराम का अनावश्यक प्रयोग हटाया। |
|||
पंक्ति 14:
=== नापतौल (मापन) में दाशनिक पद्धति ===
दशमिक प्रणाली द्वारा विभिन्न इकाइयों (Units) के मानों को निर्धारित करने में '''दस''' (10) का प्रयोग किया जाता है, अर्थात् इसके अंतर्गत प्रत्येक इकाई अपने से छोटी इकाई की दस गुनी बड़ी होती है और अपने से ठीक बड़ी इकाई की दशमांश छोटी होती है। दाशमिक पद्धति इतनी सुविधाजनक है कि गणित के अलावा इसे [[मापन]] में भी अपना लिया गया। ▼
▲=== दशमिक प्रणाली द्वारा विभिन्न इकाइयों (Units) के मानों को निर्धारित करने में '''दस''' (10) का प्रयोग किया जाता है, अर्थात् इसके अंतर्गत प्रत्येक इकाई अपने से छोटी इकाई की दस गुनी बड़ी होती है और अपने से ठीक बड़ी इकाई की दशमांश छोटी होती है। दाशमिक पद्धति इतनी सुविधाजनक है कि गणित के अलावा इसे [[मापन]] में भी अपना लिया गया। ===
वस्तुओं के मूल्यांकन में इस प्रणाली का प्रयोग सर्वप्रथम [[फ्रांस की क्रांति]] के प्रारंभिक दिनों में हुआ था और क्रांति के कुछ ही वर्षों बाद देश की समस्त माप तौल दशमिक प्रणाली द्वारा होने लगी थी। इस प्रणाली की सुगमता से प्रभावित होकर कई अन्य देशों ने भी इसे अपना लिया। [[बेलजियम]] ने सन् 1833 और [[स्विट्ज़रलैंड]] ने सन् 1891 में इस प्रणाली को अपनाया। [[जर्मनी]], [[हॉलैंड]], [[रूस]] और [[अमरीका]] पर भी इस प्रणाली का बहुत प्रभाव पड़ा और इन देशों ने भी शीघ्र ही इस प्रकार की प्रणाली अपना ली। इस प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्रदान करने के लिए 1870 ई. में फ्रांसीसी सरकार द्वारा एक सम्मेलन बुलाया गया, जिसमें 30 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और इस प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय मान्यता देने का सुझाव स्वीकार किया। धीरे धीरे संसार के लगभग भाग में यह प्रणाली प्रयुक्त होने लगी। इस प्रणाली का सबसे बड़ा गुण इसी सुगमता है। इसका मूल अंक 10 है। प्रत्येक माप या तौल में 10 या इसके दसवें भाग का प्रयोग होता है।
|