"तिथियाँ": अवतरणों में अंतर
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[[हिन्दू काल गणना]] के अनुसार मास में ३० तिथियाँ होतीं हैं, जो दो पक्षों में बंटीं होती हैं। चन्द्र मास एक अमावस्या के अन्त से शुरु होकर दूसरे
तिथि = चन्द्र का भोगांश - सूर्य का भोगांश / (Divide) 12.
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वस्तुतः सायंकालीन अर्घ्य में हम सूर्य के तेजपुंज (सविता) की आराधना करते हैं, जिन्हें 'छठमाई' के नाम से संबोधित करके उन्हें प्रातःकालीन अर्घ्य ग्रहण करने के लिए निमंत्रित किया जाता है, जिसे ग्रामीण अंचलों में 'न्योतन' कहा जाता है, पुनः प्रातःकालीन सूर्य को 'दीनानाथ' से संबोधित किया जाता है।
== सन्दर्भ ==
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