"टैंक": अवतरणों में अंतर

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सन् 1940 ई0 में रूस ने टी-34 नामक प्रसिद्ध टैंक तैयार किया। यह रूसी सैन्य सामग्री में सर्वश्रेष्ठ था। इसमें क्रिस्टी टैंक के समान कमानी युक्त आलंबन की व्यवथा थी। इसकी ऊँचाई बहुत कम थी। इसके भार 26 टन था और इसकी गति 30 मील प्रति घंटा थी। इसमें 500 अश्व शक्ति का वायुशीतक वी-12 डीजल इंजन और 76.2 मिलीमीटर की तोप लगी हुई थी। इसी टैंक का एक दूसरा संस्करण टी-34/85 भी बना। यह भी टी-34 टैंक था, किंतु इसपर तीन व्यक्तियों द्वारा चालित टरेट लगी थी, जिसपर 85 मिलीमीटर की तोप चढ़ी हुई थी। सन् 1944 में इसे युद्ध में काम में लाया गया। इसके पश्चात् टी-34/85 रूसी सेना का प्रामाणिक शास्त्र बन गया। सन् 1950 ईं0 में कोरिया युद्ध के प्रारंभ में इस टैंक ने प्रलय मचा दिया। बाद में चीनी स्वयंसेवकों ने इसे कोरिया में इस्तेमाल किया और रूसियों ने सन् 1953 के पूर्वी जर्मनी के जनजागरण के विरुद्ध इसका प्रयोग किया। रूस का एक अन्य प्रमुख मध्यभारीय टैंक था टी-54। इसका प्रमुख शस्त्र था 100 मिलीमीटर की तोप, जिसे तीव्र गतिवाली कार्ट टरेट (Cart turret) पर चढ़ाया गया था। इसकी ऊँचाई कम थी, अत: शत्रु द्वारा इसपर निशाना साधना कठिन था। सन् 1955 के लगभग इस टैंक का अधिक उपयोग हुआ। बाद में हंगरी की जनक्राँति के दमन के लिए रूसियों ने इसका प्रयोग सन् 1956 में भी किया।
[[File:Vijyant Tank Bhopal.jpg|thumb|विजयंत टैंक ,लाल घाटी चोरहा ,भोपाल]]
 
भारी टैंकों में [[रूस]] का सर्वप्रसिद्ध नमूना जोसेफ '''स्टैलिन तृतीय''' था। द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के लगभग यह बनकर तैयार हुआ। इसपर 122 मिलीमीटर की तोप लगी थी। इसका भार 56 टन, कवच की मोटाई, 10 इंच और अग्र भाग तथा टरेट पूर्णरूपेण झलाई किए हुए थे। इसमें 600 अश्वशक्ति का इंजन लगा था।
 
"https://hi.wikipedia.org/wiki/टैंक" से प्राप्त