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[[चित्र:Maharaja Sayajirao University.jpg|thumb|right|200px|महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय]]
वडोदरा का लंबा इतिहास इसके कई महलों, द्वारों, उद्यानों और मार्गों से परिलक्षित होता है। यहाँ महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ़ बड़ौदा (1949) तथा अन्य शैक्षणिक व सांस्कृतिक संस्थान हैं, जिनमें इंजीनियरिंग संकाय, मेडिकल कॉलेज वडोदरा होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज, वडोदरा बायोइंफ़ॉर्मेटिक्स सेंटर, कला भवन तथा कई संग्रहालय शामिल हैं।
स्थान '''बड़ौदा संग्रहालय और चित्र दीर्घा''' है, जिसकी स्थापना बड़ौदा के महाराजा गायकवाड़ ने 1894 में कलाकृतियाँ
 
इस शहर का एक प्रमुख स्थान '''बड़ौदा संग्रहालय और चित्र दीर्घा''' है, जिसकी स्थापना बड़ौदा के महाराजा गायकवाड़ ने 1894 में उत्कृष्टप्रमुखउत्कृष्ट कलाकृतियों के प्रतिनिधि संग्रह के रूप में की थी। इसके भवन का निर्माण 1908 से 1914 के बीच हुआ और औपचारिक रूप से 1921 में दीर्घा का उद्घाटन हुआ। इस संग्रहालय में यूरोपीय चित्र, विशेषकर जॉर्ज रोमने के इंग्लिश रूपचित्र, सर जोशुआ रेनॉल्ड्स तथा सर पीटर लेली की शैलियों की कृतियाँ और भारतीय पुस्तक चित्र, मूर्तिशिल्प, लोक कला, वैज्ञानिक वस्तुएँ व मानव जाति के वर्णन से संबंधित वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं। यहाँ इतालवी, स्पेनिश, डच और फ्लेमिश कलाकारों की कृतियाँ भी रखी गई हैं।
== कलाकृतियाँ ==
इस शहर का एक प्रमुख स्थान '''बड़ौदा संग्रहालय और चित्र दीर्घा''' है, जिसकी स्थापना बड़ौदा के महाराजा गायकवाड़ ने 1894 में उत्कृष्ट कलाकृतियों के प्रतिनिधि संग्रह के रूप में की थी। इसके भवन का निर्माण 1908 से 1914 के बीच हुआ और औपचारिक रूप से 1921 में दीर्घा का उद्घाटन हुआ। इस संग्रहालय में यूरोपीय चित्र, विशेषकर जॉर्ज रोमने के इंग्लिश रूपचित्र, सर जोशुआ रेनॉल्ड्स तथा सर पीटर लेली की शैलियों की कृतियाँ और भारतीय पुस्तक चित्र, मूर्तिशिल्प, लोक कला, वैज्ञानिक वस्तुएँ व मानव जाति के वर्णन से संबंधित वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं। यहाँ इतालवी, स्पेनिश, डच और फ्लेमिश कलाकारों की कृतियाँ भी रखी गई हैं।
[[चित्र:Baroda Lvp.JPG|thumb|center|550px|लक्ष्मी विलास महल]]