"तिलक": अवतरणों में अंतर

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'''''तिलक''''' का अर्थ है भारत में पूजा के बाद माथे पर लगाया जानेवाला निशान।
 
शास्त्रानुसार यदि द्विज (ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य) तिलक नहीं लगाते हैं तो उन्हें "चाण्डाल" कहते हैं। तिलक हमेंशा दोनों भौहों के बीच "आज्ञाचक्र" पर भ्रुकुटी पर किया जाता है।
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*पर्वताग्रे नदीतीरे रामक्षेत्रे विशेषतः| सिन्धुतिरे च वल्मिके तुलसीमूलमाश्रीताः||
मृदएतास्तु संपाद्या वर्जयेदन्यमृत्तिका| द्वारवत्युद्भवाद्गोपी चंदनादुर्धपुण्ड्रकम्||
 
चंदन हमेशा पर्वत के नोक का, नदी तट की मिट्टी का, पुण्य तीर्थ का, सिंधु नदी के तट का, चिंटी की बाँबी व तुलसी के मूल की मिट्टी का या चंदन वही उत्तम चंदन है।
तिलक हमेंशा चंदन या कुंकुंमकुमकुम का ही करना चाहिए। कुमकुम हल्दी से बना हो तो उत्तम होता हैं।
 
== मूल ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/तिलक" से प्राप्त