"रणथम्भोर दुर्ग": अवतरणों में अंतर

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=== आक्रमण ===
[[चित्र:1569-Akbar directing the attack against Rai Surjan Hada at Ranthambhor Fort.jpg|thumb|अकबर राय सुरजन हाडा के खिलाफ रणथम्भौर किले पर हमले का निर्देशन]]
रणथंभोर दुर्ग पर आक्रमणों की भी लम्बी दास्तान रही है जिसकी शुरुआत दिल्ली के [[कुतुबुद्दीन ऐबक]] से हुई और [[मुगल]] बादशाह [[अकबर]] तक चलती रही। [[मोहम्मद ग़ोरी|मुहम्मद गौरी]] व चौहानो के मध्य इस दुर्ग की प्रभुसत्ता के लिये 1209 मे युद्ध हुआ। इसके बाद 1226 मे [[इल्तुतमिश|इल्तुतमीश]] ने, 1236 मे [[रजिया सुल्तान]] ने, 1248-58 मे बलबन ने, 1290-1292 मे जलालुद्दीन खिल्जी ने, 1301 मे अलाऊद्दीन खिलजी ने, 1325 मे [[फ़िरोज़ शाह तुग़लक़|फ़िरोजशाह तुगलक]] ने, 1489 मे मालवा के मुहम्म्द खिलजी ने, 14291529 मे [[महाराणा कुम्भा]] ने, 1530 मे [[गुजरात]] के बहादुर शाह ने, 1543 मे शेरशाह सुरी ने आक्रमण किये। 1569 मे इस दुर्ग पर दिल्ली के बादशाह [[अकबर]] ने आक्रमण कर [[आमेर]] के राजाओ के माध्यम से तत्कालीन शासक राव सुरजन हाड़ा से सन्धि कर ली।
 
=== वर्तमान ===