"शास्त्रीय नृत्य": अवतरणों में अंतर

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भरत नाट्यम में नृत्‍य के तीन मूलभूत तत्‍वों को कुशलतापूर्वक शामिल किया गया है। ये हैं भाव अथवा मन:स्थिति, राग अथवा संगीत और स्‍वरमार्धुय और ताल अथवा काल समंजन। भरत नाट्यम की तकनीक में, हाथ, पैर, मुख, व शरीर संचालन के समन्‍वयन के 64 सिद्धांत हैं, जिनका निष्‍पादन नृत्‍य पाठ्यक्रम के साथ किया जाता है।
 
भरत नाट्यम में जीवन के तीन मूल तत्‍व – [[दर्शन शास्‍त्र]], [[धर्म]] व [[विज्ञान]] हैं। यह एक गतिशील व सांसारिक नृत्‍य शैली है, तथा इसकी प्राचीनता स्‍वयं सिद्ध है। इसे सौंदर्य व सुरुचि संपन्‍नता का प्र‍तीक ब‍ताया जाना पूर्णत: संगत है। वस्‍तुत: य‍ह एक ऐसी परंपरा है, जिसमें पूर्ण समर्पण, सांसारिक बंधनों से विरक्ति तथा निष्‍पादनकर्ता का इसमें चरमोत्‍कर्ष पर होना आवश्‍यक है। भरत नाट्यम तुलनात्‍मक रूप से नया नाम है। पहले इसे सादिर, दासी अट्टम और तन्‍जावूरनाट्यम के नामों से जाना जाता था। भरतनाट्यम् के कुछ प्रमुख कलाकार- लीला सैमसन, मृणालिनी साराभाई इनका अभी निधन हुआ है
, बैजयंतीमाला बाली , मालविका सरकार , यामिनी कृष्णमूर्ती , पद्म सुब्रह्मण्यम ,सोनल मान सिंह , , रुक्मिणी देवी अरुण्डेल आदि
 
== कथकली ==