"सिन्धी भाषा": अवतरणों में अंतर

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'''सिंधी''' [[भारत]] के पश्चिमी हिस्से और मुख्य रुप से [[गुजरात]] और [[पाकिस्तान]] के [[सिंध]] प्रान्त में बोली जाने वाली एक प्रमुख [[भाषा]] है। इसका संबंध [[भाषाई परिवार]] के स्तर पर [[आर्य भाषा]] परिवार से है जिसमें [[संस्कृत]] समेत [[हिन्दी]], [[पंजाबी]] और [[गुजराती]] भाषाएँ शामिल हैं। अनेक मान्य विद्वानों के मतानुसार, आधुनिक भारतीय भाषाओं में, सिन्धी, बोली के रूप में [[संस्कृत]] के सर्वाधिक निकट है। सिन्धी के लगभग ७० प्रतिशत शब्द संस्कृत मूल के हैं।
 
'''सिंधी भाषा''' [[सिंध प्रदेश]] की आधुनिक भारतीय-आर्य भाषा जिसका संबंध [[पैशाची]] नाम की [[प्राकृत]] और [[व्राचड]] नाम की [[अपभ्रंश]] से जोड़ा जाता है। इन दोनों नामों से विदित होता है कि सिंधी के मूल में अनार्य तत्व पहले से विद्यमान थे, भले ही वे [[आर्य]] प्रभावों के कारण गौण हो गए हों। सिंधी के पश्चिम में [[बलोची]], उत्तर में [[लहँदी]], पूर्व में [[मारवाड़ी]] और दक्षिण में [[गुजराती]] का क्षेत्र है। यह बात उल्लेखनीय है कि इस्लामी शासनकाल में सिंध और [[मुलतान]] (लहँदीभाषी) एक प्रांत रहा है और 1843 से 1936 ई. तक सिंध[[सिन्ध]], [[बंबईबम्बई प्रांत]] का एक भाग होने के नाते [[गुजराती]] के विशेष संपर्क में रहा है।
 
[[पाकिस्तान]] में सिंधी भाषा [[नस्तालिक]] (यानि [[अरबी]] [[लिपि]]) में लिखी जाती है जबकि [[भारत]] में इसके लिये [[देवनागरी]] और नस्तालिक दोनो प्रयोग किये जाते हैं।