"थर्मल प्रदूषण": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Unit 3 - Potrero Power Plant.jpg|thumb|right|पोत्रेरो जेनेरेटिंग स्टेशन सेन फ्रांसिस्को खाड़ी में गर्म पानी निस्सरण करते हुए<ref>. सेलना, रॉबर्ट (2009). "पावर प्लांट का मछली मारने से रोकने की कोई योजना नहीं है।" सेन फ्रांसिस्को क्रॉनिकल, 2 जनवरी 2009.</ref>]]
'''थर्मल प्रदूषण''' किसी भी प्रकार के प्रदूषण की प्रक्रिया को कहा जायेगा जिससे व्यापक रूप में [[पानी के प्राकृतिक]] [[तापमान]] में बदलाव होता हो. हो।
 
थर्मल प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारण [[बिजली संयंत्रों]] तथा औद्योगिक विनिर्माताओं द्वारा [[शीतलक]] पानी का प्रयोग करने से होता है। जब शीतलक हेतु प्रयोग किया गया पानी पुनः प्राकृतिक पर्यावरण में आता है तो उसका तापमान अधिक होता है, तापमान में बदलाव के कारण (क.) [[ऑक्सीजन]] की मात्रा में कमी आती है (ख.) [[पारिस्थिथिकी तंत्र]] पर भी प्रभाव पड़ता है। [[नगरीय जल बहाव]]-- [[सड़कों]] और [[गाड़ियों को रखने के स्थानों]] से [[बहे पानी]], ये सभी तापमान के बढ़ने के कारण हो सकते हैं।
 
जब एक बिजली संयंत्र मरम्मत अथवा अन्य कारणों से खुलता और बंद होता है, तो इसकी वजह से मछलियां और अन्य तरह के जीवाणु जो की एक विशेष प्रकार के तापमान के आदि होते हैं, अचानक तापमान में हुई बढ़ोतरी से मर जाते हैं, इसे 'थर्मल झटका' कहा जाता है।
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== पारिस्थितिक प्रभाव - उष्म जल ==
तापमान के आधिक्य के कारण [[घुलनशील ऑक्सीजन]] (DO) की मात्रा की कमी पानी में होती है।
ऑक्सीजन की मात्रा की कमी के वजह से मछलियों, [[उभयचर जीवों]] और [[कोपेपोड़ों]] को नुकसान पहुंच सकता है। थर्मल प्रदूषण जल-प्राणियों के [[चयापचयी]] की प्रक्रिया को भी प्रभावित करती है, जैसे की [[एंजाइम]] गतिविधि, परिणामतः जीवाश्म अल्प समय में ज्यादा खाद्य पदार्थ सेवन करने लगते हैं, जो की वे नहीं करते अगर पर्यावरण में बदलाव ना हुआ होता.होता। चयापचयी की प्रक्रिया में बदलाव के कारण खाद्य पदार्थ में कमी आ सकती है, जिसकी वजह से बहुत तीव्र गति से जनसंख्या में घटौति हो सकती है। पर्यावरण में बदलाव का परिणाम यह भी हो सकता है की जीव एक स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर चले जाएं जहां का पर्यावरण अनुकूलनीय हो, इसी प्रकार वे मछलियां भी अपना घर बदल सकती हैं जो की कहीं और सिर्फ उष्म जल में रहने की आदि हों. ऐसे में यह स्थिति अल्प अंतर में उपलब्ध संसाधनों के लिए होड़ की स्थिति पैदा करती है, इस कारण उन जीवाणुओं से जो उष्म तापमान की अनुकूल नहीं है, उनसे ज्यादा अनुकूलित जीवाणुओं को लाभ होता है। इस कारण पुराने और नए पर्यावरण में उपलब्ध [[खाद्य पदार्थ की श्रृंखला]] में समझौता करना पड़ता है। यह स्थिति [[जैविक भिन्नता]] को कम कर सकती है।
 
ध्यातव्य है की महज दो डिग्री [[सेल्सियस]] भी अगर तापमान में बदलाव होता है तो उसका व्यापक असर जीवाणुओं के चयापचय और अन्य [[कोशकीय जीवविज्ञान]] सम्बन्धी प्रभाव पड़ सकते हैं।
मुख्य प्रतिकूल बदलावों में कोशकीय परतों की परिगम्यता जो की [[विसारण]] के लिए जरूरी है, कोषकाएं [[प्रोटीन]] का जमाव और [[चयापचय]] के [[एंजाइम]] फेर-बदल में ये सभी शामिल होंगे.होंगे। कोशकीय स्तर पर इन बदलावों का प्रतिकूल प्रभाव उनके [[जीवन]] और [[प्रजनन]] पर पड़ेगा.
 
[[प्रधान उत्पादकों]] (प्रजननकर्ताओं) पर इसका प्रभाव पड़ेगा क्यों की उष्णिय जल पेड़-पौधों के बढ़ने के रफ़्तार को तेज़ करती है, जो की अल्प जीवनाविधि का कारण बनेगी तथा जीवाणुओं जनसंख्या में भी बढ़ोतरी होगी.होगी।
ऐसी स्थिति [[शैवाल के पैदावार]] को बेइंतहा बढ़ा देगी, जिसके कारण ऑक्सीजन की मात्रा में कमी आयेगी.
 
तापमान में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी जीवन उपयोगी एंजाइमों के अप्राकृतिकरण की तरफ अग्रसर होगी, जो की एंजाइम के चौकोर संरचानाएं के अन्दर [[हाइड्रोजन]] और [[डिसुलफाइड के जोड़]] के टूटने से होगी.होगी।
 
एंजाइम के गतिविधि में घटौती के कारण जल-जीवों के लिए समस्यायं खड़ी हो सकती हैं मसलन वह [[चर्बी]] गलाने की क्षमता को नष्ट करती है, जो की [[कुपोषण]] का कारण बनती है।
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आकलन बताते हैं की अगर इन बिजली संयंत्रों द्वारा छोड़े गए पानियों के स्थलों को हटा दिया जाये तो इनकी जनसंख्या में कमी आयेगी.
 
ताज़े जल के स्रोत के लिए तापमान ज्यादा से ज्यादा 70° [[फारेनहाइट]], खारे पानी के लिए 80&nbsp;°F और उष्ण-कटिबंधीय मछलियों के लिए 85 डिग्री होना चाहिए.चाहिए। {{Clarify me|date=March 2009}}
 
== पारिस्थितिक प्रभाव - शीतल जल ==
जलाशयों द्वारा अप्राकृतिक रूप में ठन्डे पानी के छोड़े जाने पर नदी के मछलियों, मेरुदंडविहिन जीवाणुओं और उसके जीव-जंतुओं पर पड़ सकता है।
[[ऑस्ट्रेलिया]] की नदियां, जहां, उष्णिय जल तापमानों का स्थापत्य है, वहां के स्थानीय मछलियों की नस्लों का सफाया हो गया है और मेरुदंड विहीन जीव-जंतुओं में भरी मात्रा में फेर-बदल हुआ है अथवा शक्तिहीन हो गए हैं। ताज़े जल के स्रोतों का तापमान कम से कम 50&nbsp;°F, खारे-जल का 75&nbsp;°F और उष्ण-कटिबंधीय का 80&nbsp;°F होना चाहिए.चाहिए।
 
== थर्मल प्रदूषण नियंत्रण ==
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कुछ सुविधाएं जो की '''एक बार में ठंडा करने''' (OTC) की प्रक्रिया द्वारा होती हैं, पानी की उष्णता को पूर्ण रूप में कम नहीं कर पाती.
उदाहरणतः [[सेन फ्रांसिस्को]] में [[पोत्रेरो जेनेरेटिंग स्टेशन]] जो की OTC का इस्तेमाल करती है तथा [[सेन फ्रांसिस्को खाड़ी]] में जल विसर्जित करती है, इस जल का तापमान कड़ी के अनुकूलित पर्यावरण से लगभग 10&nbsp;°C (20&nbsp;°F) ज्यादा है।<ref>कैलिफोर्निया पर्यावरण संरक्षण एजेंसी. सैन फ्रांसिस्को क्षेत्रीय वाटर क्वालिटी कंट्रोल बोर्ड खाड़ी. [http://www.swrcb.ca.gov/sanfranciscobay/board_info/agendas/2006/may/mirantfinalorder.pdf "Waste Discharge Requirements for Mirant Potrero, LLC, Potrero Power Plant." ] ऑर्डर संख्या R2-2006-0032, NPDES अनुमति संख्या CA0005657. 15 मई 2006</ref>
 
'''शहरी बहाव'''