"वर्णात्मक नीतिशास्त्र": अवतरणों में अंतर
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== अर्थ==
वर्णात्मक नीतिशास्त्र व्यक्तियों की या लोगों के समूहों की अभिवृत्तियों के एक [[अनुभवजन्य]] संशोधन का रूप हैं। अन्य शब्दों में, यह दार्शनिक या सामान्य नीतिशास्त्र का विभाग हैं, जिसमें घटना को वर्णित करने के ध्येय से नैतिक निर्णयन प्रक्रिया का अन्वेषण शामिल हैं। वर्णात्मक नीतिशास्त्र पर काम करने वालों का लक्ष्य लोगों की कुछ चीजों के बारे में मान्यताओं का अनावरण करना होता हैं, जैसे की, मूल्य, कौनसे कार्य सही और गलत हैं, और नैतिक अभिकर्ताओं की कौनसी विशिष्टताएँ गुणवान हैं।
वर्णात्मक नीतिशास्त्र के भीतर संशोधन, लोगों के नैतिक आदर्शों की अथवा समाज किन कार्यों को [[विधि]] या [[राजनीति]] में पुरुस्कृत या दण्डित करते हैं, इनकी भी जाँच कर सकता हैं। उल्लेखनीय यह हैं कि संस्कृति पीढ़ीगत होती हैं, न की स्थैतिक। अतः, एक नई पीढ़ी अपनी नैतिकताओं का समुच्चय लेकर आएगी और वह नीतिशास्त्र बन जाएगा। अतः वर्णात्मक नीतिशास्त्र इस बात का पर्यवेक्षण करेगा कि नीतिशास्त्र अभी तक अपने स्थान पर हैं या नहीं।
==लॉरेन्स कोह्लबर्ग - वर्णात्मक नीतिशास्त्र का एक उदाहरण ==
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