"गुरु ग्रन्थ साहिब": अवतरणों में अंतर

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==भाषा एवं लिपि==
गुरु ग्रन्थ साहिब का लेखन [[गुरुमुखी लिपि]] में हुआ है। गुरु ग्रन्थ साहिब की गुरुवाणियाँ अधिकांश [[पंजाब]] प्रदेश में अवतरित हैं और इस कारण जन-साधारण उनकी भाषा को [[पंजाबी]] के सदृश अनुमान करता है; जबकि ऐसी बात नहीं है। श्री गुरुग्रन्थ साहिब की भाषा आधुनिक [[पंजाबी]] भाषा की अपेक्षा [[हिन्दी भाषा]] के अधिक समीप है और हिन्दी-भाषी को पंजाबी भाषी की अपेक्षा गुरु-वाणियों का आशय अधिक बोधगम्य है। दूसरी ओर यद्यपि श्री [[दसम ग्रन्थ]] की भी लिपि गुरमुखी है, परन्तु इसकी भाषा प्रायः [[अपभ्रंश]] हिन्दी में कविताबाद्ध है। इसकी भाषा पंजाबी-भाषियों के लिये और अधिक दुरूह किन्तु हिन्दी-भाषियों के लिये भलीभाँति जानी-पहचानी है। गुरु ग्रन्थ साहिब की भाषा को 'सन्त भाषा' भी कहते हैं जिसमें बहुत सी भाषाओं, बलियों और उपबोलियों का मिश्रण है जिसमें लहिंदी [[पंजाबी]], [[ब्रजभाषा]], [[खड़ी बोली]], [[संस्कृत]] और [[फारसी]] आदि प्रमुख हैं।<ref>Religion and Nationalism in India By Harnik Deol. Published by Routledge, 2000. ISBN 0-415-20108-X, 9780415201087. Page 22. "Remarkably, neither is the Qur'an written in Urdu language, nor are the Hindu scriptures written in Hindi, whereas the compositions in the Sikh holy book, Adi Granth, are a melange of various dialects, often coalesced under the generic title of Sant Bhasha."<br/ref>
 
==सन्दर्भ==
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== स्रोत ==