"यासिर अराफ़ात (फिलिस्तीनी नेता)": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Yasser-arafat-1999-2.jpg|thumb]]
'''मोहम्मद अब्दुल रहमान अब्दुल रऊफ़ अराफ़ात अलकुव्दा अल हुसैनी''' (4 [[अगस्त]], [[1929]] – 11 [[नवंबर]], [[2004]]), जिन्हें '''यासिर अराफ़ात''' के लोकप्रिय नाम से ज्यादा जाना जाता है एक [[फिलिस्तीन|फिलिस्तीनी]] नेता एवं [[फिल्स्तीनी मुक्ति संगठन]] के अध्यक्ष थे।
अराफात ऐसे पहले शख्स थे, जिन्हें किसी राष्ट्र का नेतृत्व न करते हुए भी संयुक्त राष्ट्र में भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया था।<ref name = navbharat />
 
अराफात के नेतृत्व में उनके संगठन ने शांति की जगह संघर्ष को बढ़ावा दिया और इजरायल हमेशा उनके निशाने पर रहा। लोगों को बंधक बनाना, विमानों के अपहरण समेत दुनियाभर में इजरायल के ठिकानों पर निशाना साधना संगठन का मकसद बन गया था। वो इजरायल के अस्तित्व के सख्त खिलाफ थे, लेकिन शांति से दूर संघर्ष की पहल करने वाले अराफात की छवि 1988 में अचानक बदली हुई दिखी। वो [[संयुक्त राष्ट्र]] में शांति के दूत के रूप में नजर आए। बाद में उन्हें शांति के [[नोबेल पुरस्कार]] से भी सम्मानित किया गया।<ref name= navbharat />
नेहरू-गांधी परिवार के साथ इनकी बहुत करीबियां थीं। [[इंदिरा गांधी]] को वो अपनी बड़ी बहन मानते थे। इन्होंने भारत में 1991 के चुनाव अभियान के दौरान [[राजीव गांधी]] को जानलेवा हमले को लेकर आगाह किया था।<ref name =navbharat />